उत्तराखंड विधि विवि स्थापना मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी मामले में पारित हाईकोर्ट के दो आदेशों के क्रियान्वयन पर फिलहाल रोक लगा दी है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 09 May 2019 09:20 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय स्थापना मामले में राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यूनिवर्सिटी मामले में पारित हाईकोर्ट के दो आदेशों के क्रियान्वयन पर फिलहाल रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में इस मामले में 13 मई को सुनवाई होनी थी। हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार के देहरादून के रानीपोखरी में विधि विश्वविद्यालय स्थापित करने को अवमानना करार दिया था।
नैनीताल निवासी पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल व डॉ. भूपाल सिंह भाकुनी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। पिछले साल 19 जून को हाईकोर्ट ने सरकार को तीन माह के भीतर विवि बनाकर कॉलेज में कक्षा संचालन करने के आदेश दिए थे। आदेश में उधमसिंह नगर के प्राग फार्म की भूमि पर विवि बनाने, पहली सितंबर से अकादमिक सत्र शुरू करने, एक माह में विवि के रेगुलेशन बनाने, बार काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति प्राप्त करने तथा तीन माह में नियुक्तियां करने की बात कही गई थी। इसी साल फरवरी में राज्य सरकार ने देहरादून के रानीपोखरी में विधि विवि स्थापित करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में पूर्व आदेश को मोडिफाई करने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने प्रार्थना पत्र खारिज करने के साथ ही रानीपोखरी में विधि विवि बनाने को कोर्ट की अवमानना करार दिया। साथ ही कहा कि क्यों ना मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
हाईकोर्ट के दोनों आदेशों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की गई। राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पैरवी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दोनों आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के उपमहाधिवक्ता जतिंदर सेठी द्वारा बुधवार को इस मामले में पारित आदेश की जानकारी मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, महाधिवक्ता उत्तराखंड को भेजी गई है।
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