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रैली में जनता को धूप से बचने के लिए करना होगा छांव का इंतजाम, भीड़ जुटाने में होंगी दिक्‍कतें

प्रचार के लिए समय कम मिलने के कारण स्टार प्रचारकों की ज्यादा से ज्यादा रैलियां होंगी लेकिन तेज धूप में होने वाली जनसभा में भीड़ की कमी नेताओं के माथे पर पसीना ला सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 27 Mar 2019 10:44 AM (IST)
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रैली में जनता को धूप से बचने के लिए करना होगा छांव का इंतजाम, भीड़ जुटाने में होंगी दिक्‍कतें
हल्द्वानी, जेएनएन : नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव प्रचार जोर पकड़ने लगा है। राजनीतिक दलों का फोकस बड़ी चुनावी रैलियों पर है। प्रचार के लिए समय कम मिलने के कारण स्टार प्रचारकों की ज्यादा से ज्यादा रैलियां होंगी, लेकिन तेज धूप में होने वाली जनसभा में भीड़ की कमी नेताओं के माथे पर पसीना ला सकती है। अप्रैल प्रथम सप्ताह में तराई-भाबर का अधिकतम तापमान 31 से 35 डिग्री के आसपास पहुंच जाएगा। जिससे तेज धूप में चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को छांव के साथ गला तर करने के लिए ठंडे पानी व हवा के लिए पंखों का भी इंतजाम करना होगा।

गेहूं कटाई का काम शुरू, भीड़ जुटाना चुनौती

तराई-भाबर में चुनावी तपिश बढऩे के साथ ही गेहूं की तैयार फसल की कटाई का काम शुरू हो गया है। एक अप्रैल से सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद आरंभ हो जाएगी। ऐसे में किसान अप्रैल में अपने खेत-खलिहान में व्यस्त रहेंगे। रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर, किच्छा, खटीमा, बाजपुर और हल्द्वानी के गौलापार इलाके में गेहूं की कटाई का काम शुरू हो गया है। फसल काटने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर भी लगाए जा रहे हैं। इसका असर चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाने पर पड़ सकता है।

अब शुरू होगा बड़ी रैलियों का दौर

नामंकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद नैनीताल संसदीय क्षेत्र में भाजपा-कांग्रेस की बड़ी रैलियां होने की उम्मीद है। मौसम अनुकूल रहा तो रैलियां हिट साबित होंगी, लेकिन चिलचिलाती धूप, आंधी, तूफान व बारिश का मौसम इसमें खलल डाल सकता है। फिलहाल एक अप्रैल तक तराई-भाबर में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के आसार है, लेकिन मौसम साफ रहेगा।

खर्च बढ़ाएगा टेंट और पानी

सर्दियों के मौसम में चुनाव के दौरान जनसभा के लिए ज्यादातर ओपन एरिया का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें टेंट लगाने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। धूप सेंकते हुए लोग रैली में नेताजी के भाषण सुनते है। इसके साथ ही पेयजल की आवश्यकता और खपत भी कम रहती है। अब गर्मी के मौसम में होने जा रहे चुनाव के दौरान अगर जनता को धूप और गर्मी से बचाने के लिए बड़े टेंट और पंखे का इस्तेमाल किया जाता है तो यह प्रत्याशी के खर्च में जुड़ जाएगा। साथ ही पेयजल टैंकर, पानी की बोतलों की खपत ज्यादा होने से भी नेताजी चुनावी खर्चा बढ़ जाएगा। 

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