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भूगर्भ से निकलने वाला कार्बोनेट मैग्मा वातावरण में बढ़ा रहा है कार्बन डाई आक्सीजन की मात्रा

शोधार्थी डा शुभम चौधरी के शोध अध्ययन में पता चला है कि कार्बोनेट मैग्मा के माध्यम से धरती के गर्भ से निकलने वाले कार्बन डाइ आक्साइड का एक हिस्सा भूगर्भ में चट्टानों के साथ प्रतिक्रिया कर विभिन्न कार्बोनेट मिनरल्स बनाकर इन्हीं चट्टानों में उपभोग कर लिया जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 25 May 2022 10:11 AM (IST)
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भूगर्भ से निकलने वाला कार्बोनेट मैग्मा वातावरण में बढ़ा रहा है कार्बन डाई आक्सीजन की मात्रा
जागरण संवाददाता, नैनीताल : वाडिया हिमालय भू विज्ञान इंस्टीट्यूट व कुमाऊं विवि के शोध अध्ययन में पता चला है कि मानवीय गतिविधियों के साथ ही भूगर्भ से निकलने वाला मैग्मा विशेषत: कार्बोनेट मैग्मा वातावरण में कार्बन डाई आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। जिससे धरती पर प्राकृतिक ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

शोधार्थी डा शुभम चौधरी के शोध अध्ययन में पता चला है कि कार्बोनेट मैग्मा के माध्यम से धरती के गर्भ से निकलने वाले कार्बन डाइ आक्साइड का एक हिस्सा भूगर्भ में उपस्थित चट्टानों के साथ प्रतिक्रिया कर विभिन्न कार्बोनेट मिनरल्स जैसे मैग्नेसाइट व सिडेराइट बनाकर इन्हीं चट्टानों में उपभोग कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया से कार्बन डाइ आक्साइड का एक बड़ा हिस्सा वातावरण में आने के बजाय भूगर्भ में ही चला जाता है। ऐसी प्रक्रिया की अनुपस्थिति में वातावरण में कार्बन डाइ आक्साइड की मात्रा और भी अधिक होगी और ग्रीन हाउस प्रभाव को और बढ़ाएगी। जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा और भी बढ़ सकता है।

उत्तर अटलांटिक सागर के जलवायु परिवर्तन का यहां पड़ता है प्रभाव

वाडिया इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक प्रो अनिल कुमार गुप्ता, कुमाऊं विवि भूगर्भ विज्ञान विभाग के प्रो संतोष कुमार के निर्देशन में शोधार्थी सोनू के शोध में मानसून को लेकर रोचक तथ्य उजागर हुए हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के 45 हजार साल पुरानी बारिश की हिस्टृी के अध्ययन से पता चला है कि उत्तर अटलांटिक महासागर के जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यहां की बारिश पर भी पड़ता है। भारत में इंडियन समर मानसून जबकि चीनी क्षेत्र में इष्ट एशियन मानसून सक्रिय होता है लेकिन दोनों के बदलाव एक जैसे होते हैं।

क्या होता है मैग्मा

मैग्मा पिघला हुआ या अर्द्ध पिघला हुआ प्राकृतिक पदार्थ होता है जिससे आग्नेय चट्टानें बनती यह पृथ्वी की सतह के नीचे पाया जाता है। अन्य स्थलीय ग्रहों और कुछ उपग्रहों पर भी मैग्माटिज्म के प्रमाण मिले हैं । पिघली हुई चट्टान यानी लावा के अलावा, मैग्मा में क्रिस्टल और गैस के बुलबुले भी हो सकते हैं । मैग्मा विभिन्न टेक्टोनिक सेटिंग्स में मेंटल या क्रस्ट के पिघलने से उत्पन्न होता है।

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