मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ रहे हैं मामले, लेकिन पीडि़तों को नहीं मिल रहा पा रहा मुआवजा
बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामलों से वन महकमे के अधिकारी दबाव में है। विशेषकर बाघ-गुलदार के हमलों के बाद मुआवजे को लेकर बढ़ता फाइलों का ढेर विभाग के लिए चुनौती बना है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 15 Jan 2020 09:15 AM (IST)
नैनीताल, किशोर जोशी : बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामलों को लेकर वन महकमे के अधिकारी दबाव में हैं। विशेषकर बाघ-तेंदुए के हमलों के बाद मुआवजे को लेकर बढ़ता फाइलों का ढेर विभाग के लिए और चुनौती बना है। वन्य जीवों के आबादी की ओर से आने से कृषि फसल क्षति, मकान क्षति का मुआवजा भी प्रभावित परिवारों को नहीं मिला है।
इस कारण से बढ़ संघर्ष की घटनाएं दरअसल सिमटती खेतीबाड़ी, फल-सब्जी उत्पादन, जंगलों के अवैध कटान, अवैध शिकार आदि वजहों से वन्यजीवों को भोजन जुटाना मुश्किल हो गया है। इन परिस्थितियों में विशेषकर बाघ, गुलदार, हाथी, जैसे जानवर हमलावर हो रहे हैं। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं मंडल की रिपोर्ट के अध्ययन से साफ है कि प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया बेहद जटिल है।
मानव मृत्यु की क्षति का 40 लाख की देनदारी
चीफ कुमाऊं कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार मानव मृत्यु से संबंधित मामले नवंबर तक 33 प्राप्त हुए, जिसमें से 17 मामलों में राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। कुल 99 लाख राहत राशि दी गई। जबकि अवशेष देनदारी 40 लाख है। जबकि जांच के स्तर पर लंबित प्रकरण सात हैं। रिपोर्ट के अनुसार नवंबर तक मानव क्षति घायल के 133 मामलों की जांच रिपोर्ट मिल चुकी है। इसमें 113 मामलों में भुगतान की संस्तुति की जा चुकी है जबकि इसमें अवशेष देनदारी 13.55 लाख है। लंबित प्रकरण 31 मेें से जांच स्तर पर 14 विचाराधीन हैं।
पशुक्षति की देनदारी भी कम नहींकुमाऊं में पशुक्षति के मुआवजे के लिए वन महकमे को 524.61 लाख की दरकार है। इसमें लंबित प्रकरण 785 व जांच स्तर पर लंबित 472 तथा जांच में समाप्त प्रकरणों की संख्या 24 है। माह के अंत में जांच रिपोर्ट प्राप्त 5233 में से भुगतान संस्तुति के मामले 4387 हैं। इसके अलावा नवंबर तक वन्य जीवों द्वारा 80.5555 हेक्टेयर क्षेत्रफल की कृषि फसल को नुकसान पहुंचाया। पिछले साल के अवशेष की देनदारी 24. लाख से अधिक है। वन विभाग की ओर से नवंबर अंत तक 32 लाख से अधिक मुआवजा दिया गया। इसमें विभाग की सात लाख से अधिक देनदारी है। मकान क्षति के पिछले सालों के अवशेष 18 प्रकरणों का एक लाख 82 हजार देनदारी है। 49 प्राप्त मामलों में भुगतान की संस्तुति की गई। इसमें लंबित प्रकरण मात्र तीन हैं।
संघर्ष की घटनाएं चिंता का विषण डॉ विवेक कुमार पांडे, चीफ कुमाऊं ने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाएं निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। वन विभाग के स्तर से इन घटनाओं पर कमी लाने के लिए तमाम स्तर पर सार्थक प्रयास किए जाते हैं। मानव की मृत्यु, घायलों के मामले में मुआवजा जल्दी मिले, इसके लिए प्रयास होते हैं। यह भी पढ़ें : पक्षियों की दुनिया का ज्ञान देगा हिमालयी पर्यटन को नई पहचान, देशभर में तैयार किए जाएंगे 5.50 लाख नेचर लवर्स
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