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खुशियां मनाएं पर पर्यावरण का भी रखें ध्यान, कोशिश रहे शहर में कम हो प्रदूषण nainital news

दिवाली की रात कोशिश करें कि शहर का प्रदूषण न बढ़े। आतिशबाजी व पटाखे फोडऩे से ध्वनि के साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसलिए जागरूकता के साथ कम से कम पटाखा जलाए।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 26 Oct 2019 06:16 PM (IST)
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खुशियां मनाएं पर पर्यावरण का भी रखें ध्यान, कोशिश रहे शहर में कम हो प्रदूषण nainital news
हल्द्वानी, जेएनएन : दिवाली की रात कोशिश करें कि शहर का प्रदूषण न बढ़े। आतिशबाजी व पटाखे फोडऩे से ध्वनि के साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसके अलावा आग लगने व पटाखे से घायल होने का भी खतरा रहता है।

इसलिए जागरूकता के साथ कम से कम पटाखा जलाए। बच्चे जहां पर आतिशबाजी कर रहे हों वहां पर बड़े अवश्य हों या वे नजर बनाए रखे। पटाखे जलाने वाली जगह पर पानी व रेत से भरी बाल्टी जरूर रखें। इस दौरान हो सके तो कॉटन के कपड़े पहने।

गोशाला व अस्पताल के आसपास तेज आवाज के पटाखे न जलाएं। दीवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है। इस दिन लोग जमकर आतिशबाजी भी करते हैं, जिससे पर्यावरण में जहरीले कणों की मात्रा बढ़ जाती है। हवा में सल्फर व नाइट्रोजन गैस बढऩे का सीधा नुकसान फेफड़ों पर होता है। सांस संबंधी बीमारियों का इन्हें जनक माना जाता है। सल्फर बढऩे पर धुंध व एसिड रैन की आशंका होती है। पिछले चार साल से लगातार त्योहार के दिन प्रदूषण बढ़ी है। पटाखे फोडऩे से हवा में जहर ज्यादा घुलता है। लिहाजा, शहर की हवा साफ रखने के लिए सभी को अपने स्तर पर जागरूकता दिखानी होगी।

साल   दीवाली से पहले  दीवाली पर

2017  133.5            217

2018   120.8          221.7

पहली बार 14 दिन नपेगा प्रदूषण

पीसीबी हमेशा दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली की रात का प्रदूषण चेक कर रिपोर्ट तैयार करता था। लेकिन इस दफा 14 दिन की रिपोर्ट तैयारी करनी है। एक सप्ताह पूर्व व एक सप्ताह बाद तक मात्रा आंकी जाएगी।

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