'राजधानी' में बाघों ने कुनबा बढ़ाया तो केन्द्र सरकार ने भी दोगुना कर दिया बजट
बाघों की राजधानी के लिए मशहूर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बाघों का कुनबा बढ़ा तो केंद्र सरकार ने बजट भी बढ़ा दिया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 31 Oct 2018 11:01 AM (IST)
रामनगर (जेएनएन) : बाघों की राजधानी के लिए मशहूर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बाघों का कुनबा बढ़ा तो केंद्र सरकार ने बजट भी बढ़ा दिया। बाघों की सुरक्षा के लिए जहां दो साल पहले बजट आठ करोड़ रुपये था अब इसे बढ़ाकर 15 करोड़ से अधिक कर दिया है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा देश के टाइगर रिजर्व में बाघ सुरक्षा के लिए धन आवंटित किया जाता है। एनटीसीए द्वारा ही बाघ संरक्षण के लिए गतिविधि भी संचालित की जाती है। उत्तराखंड का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए विश्व प्रसिद्घ है। जहां बाघों की संख्या मेें इजाफा होता जा रहा है। बाघों की संख्या के कारण न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि राज्य का नाम भी देश-विदेश में रोशन हो रहा है। सीटीआर प्रशासन के मुताबिक इस साल कॉर्बेट में बाघों की सुरक्षा के लिए एनटीसीए द्वारा 15.16 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। जिसमें से 11.76 करोड़ रुपये कॉर्बेट प्रशासन को मिल भी गए हैं। जल्द ही शेष धनराशि भी मिल जाएगी।
वर्ष मिला बजट
2016-17 आठ करोड़
2017-18 11.88 करोड़
2018-19 15.16 करोड़
बढ़ती रही बाघों की संख्या वर्ष बाघ
2006 1642010 214
2016 264इन कार्यों में खर्च होगा बजट
15 करोड़ रुपये का बजट बाघों के संरक्षण के लिए किए जाने वाले सभी कार्य के अलावा वॉटर हॉल, सड़क, वन चौकियों के रखरखाव, मरम्मत, निर्माण, सोलर फेसिंग, फायर वॉचर का वेतन, लैंटाना उन्मूलन, दैनिक श्रमिक का वेतन, हाथी के रखरखाव, मुखबिर तंत्र समेत अनेक कार्यों में खर्च किया जाएगा।सीटीआर वन विभाग की भी करेगा मदद
कॉर्बेट प्रशासन को जो बजट मिला है, उसमें से 93 लाख रुपये रामनगर वन प्रभाग को भी कॉर्बेट प्रशासन बाघ संरक्षण के लिए देगा। इस वन प्रभाग में भी करीब 38 बाघों की मौजूदगी बताई जाती है।यह भी पढ़ें : यहां चार दिन में एक बार मिलता है पानी वह भी सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत का
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