Chandrayaan 3: चांद पर पहुंचा भारत, अब सूरज की तरफ करेगा रुख, जल्द लांच होगा आदित्य L-1 मिशन, निगाहें शुक्र पर
Chandrayaan 3 - बुधवार शाम चंद्रयान-तीन की सफलतापूर्वक लैंडिंग से इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का लक्ष्य अब आदित्य एल-वन मिशन को सूरज तक भेजने की तैयारी तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान-तीन की सफलता पर वैज्ञानिकों व देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि जल्द ही इसरो सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए आदित्य एल-वन मिशन लांच करने जा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Thu, 24 Aug 2023 12:06 AM (IST)
ISRO Chandrayaan 3, Aditya L1, नैनीताल [रमेश चंद्रा]। स्पेस मिशन में भारत एक के बाद कीर्तिमान बनाने को तैयार है। बुधवार शाम चंद्रयान-तीन की सफलतापूर्वक लैंडिंग से इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का लक्ष्य अब आदित्य एल-वन मिशन को सूरज तक भेजने की तैयारी तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान-तीन की सफलता पर वैज्ञानिकों व देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि जल्द ही इसरो सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए आदित्य एल-वन मिशन लांच करने जा रहा है। इसके बाद शुक्र ग्रह भी इसरो के लक्ष्यों में से एक है।
ऐसे में माना जा रहा है कि इसरो अब किसी भी समय आदित्य एल-वन की लांचिंग तिथि घोषित कर देगा। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक व आदित्य एल-वन मिशन आउटरीच कमेटी के सह अध्यक्ष प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि भारत आदित्य एल-वन मिशन के जरिए अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने को तैयार है। सितंबर प्रथम सप्ताह में यह मिशन लांच कर दिया जाएगा।
इसरो की यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण
बनर्जी ने बताया कि इसरो पेलोड समेत सभी उपकरण तैयार कर चुका है। प्रारंभिक परीक्षण पूरा हो चुका हैं। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के एकीकरण का कार्य लगभग अंतिम चरण पर है। स्पेस मिशन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो की यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है। करीब एक दशक से कार्य चल रहा है। लॉकडाउन के कारण मिशन में थोड़ा विलंब हुआ है, अब यह अंतिम चरण में पहुंच चुका है।आदित्य-एल-वन मिशन का महत्वपूर्ण कार्य सीएमई यानी सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाले सौर तूफानों का निरीक्षण करना और मल्टी वेव लेंथ में सौर पवन की उत्पत्ति का अध्ययन करना है। यह रिमोट-सेंसिंग और इन-सीटू (प्रत्यक्ष) दोनों उपकरणों के जरिए सौर हवा की उत्पत्ति, सुपरसोनिक गति के त्वरण, सीएमई के विकास और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होगा।