Chhath Puja 2022 Arghya Time: सूर्य को पहला अर्घ्य आज, यह रहेगा शुभ मुहूर्त, कल सूर्योदय का भी जानें समय
Chhath Puja 2022 Arghya Time व्रतधारियों ने शनिवार को घरों में खरना रस्म के साथ प्रसाद ग्रहण कर व्रत शुरू किया। व्रत का समापन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। घाट पर आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का प्रयोग होगा।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Chhath Puja 2022 Arghya Time: दर्शन देहू न अपार हे छठी मैया.., उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया.., सुन ले अरजिया हमार हे छठी मैया.. जैसे गीतों की गूंज रविवार शाम छठ पूजा घाटों व घरों में गूंजेगी। अवसर होगा सूर्य आराधना के छठ महापर्व का। शहर में तीन जगहों पर सामूहिक रूप से पूर्वांचली समाज की महिलाएं व स्वजन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करेंगे। सूर्यास्त का समय 5:22 बजे है। इससे पहले ही व्रती घाट पर पहुंचने लगेंगे। नहर व जलकुंडों में दीप प्रवाहित किए जाएंगे।
घाट की बढ़ी सुंदरता
व्रतधारियों ने शनिवार को घरों में खरना रस्म के साथ प्रसाद ग्रहण कर व्रत शुरू किया। व्रत का समापन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। छठ पूजा सेवा समिति के पदाधिकारी शनिवार को रामपुर रोड स्थित छठ घाट पर तैयारियों में जुटे रहे। छठ घाट को बिजली के झालरों से सजाया गया है। जगमग घाट की परछाई नहर में प्रतिबिंबित होने पर घाट की सुंदरता पर चार चांद लग गए हैं।
घाट पर आने-जाने का रास्ता अलग-अलग
छठ सेवा समिति के अध्यक्ष कृष्णा साह ने बताया कि आयोजन की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। घाट पर आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का प्रयोग होगा। समिति के उपाध्यक्ष शंकर भगत ने बताया कि मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला व कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे।
रामपुर रोड घाट पर 500 परिवार करेंगे पूजन
रामपुर रोड घाट पर 500 से अधिक परिवार सामूहिक पूजा के लिए पहुंचेंगे। सचिव सुरेश भगत, संयुक्त मंत्री जयप्रकाश साह, कोषाध्यक्ष वीरू पंडित, विंदेश्वर सिंह, राम अवतार, छोटे लाल साह तैयारियों में जुटे रहे।
उगते सूर्य को अर्घ्य कल
आज अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को सूर्याेदय का समय सुबह 6:23 है। इस दौरान भी भारी भीड़ घाटों पर जुटेगी।
अति प्राचीन है सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा
छठ परिवार को जोडऩे वाला पर्व है। परिवार सामूहिक रूप से छठ मनाते हैं। छठ पूजा सेवा समिति के महामंत्री मुरारी प्रसाद श्रीवास्तव बताते हैं कि छठ को मनाने की परंपरा बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि बाल हनुमान ने सूर्य को फल समझकर मुंह में समा लिया था। देवताओं के आग्रह करने के बाद हनुमान ने सूर्य को छोड़ा। तभी से डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई।
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