Move to Jagran APP

Sanskaarshala : बच्चों ने ली सीख- गैजेट्स का इस्तेमाल सीमित हो, निगरानी भी बहुत जरूरी

Sanskaarshala संस्कारशाला के तहत दैनिक जागरण में प्यार और समझदारी है समस्या का हल शीर्षक से प्रकाशित अमर की कहानी शुक्रवार को हल्द्वानी के शिवालिक इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ी गई। इस दौरान बच्चों ने कहानी के मर्म को समझा और गैजेट्स के नियंत्रित इस्तेमाल पर जोर दिया।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaUpdated: Fri, 07 Oct 2022 08:52 PM (IST)
Hero Image
बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना संभव भी तो नहीं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Sanskaarshala : गैजेट्स का हमारे जीवन में उपयोग बढ़ गया है। लिखाई-पढ़ाई आनलाइन हो जाने से अब बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना संभव भी तो नहीं। समझदारी इसी में है कि हम निगरानी के साथ इसका इस्तेमाल करें ताकि इसका लाभ हमें मिले और संभावित खतरों से भी बचे रहें।

घबरा गए थे अमर के दादा

स्कूल से घर लौटने के तुरंत बाद बिना ड्रेस बदले, बिना कुछ खाए टैबलेट लेकर बैठ गए। अमर के दादा रामप्रसाद इसी खतरे की वजह से ही तो डर गए थे। टैब रखो और होमवर्क करो कहने पर अमर दादाजी से नाराज हो गया। यहां तक कह दिया कि आप जानते तो कुछ नहीं, बस डांटने का बहाना खोजते रहते हैं।

शिवालिक में पढ़ी व सुनी गई कहानी

दैनिक जागरण संस्कारशाला में 'प्यार और समझदारी है समस्या का हल' शीर्षक से प्रकाशित अमर की कहानी इसी समस्या पर केंद्रित है। शिवालिक इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका नमिता जोशी ने कहानी पढ़ी तो बच्चों ने कहा कि अमर का दादाजी से इस तरह से बात करना कतई सही नहीं था। दादाजी की चिंता सही थी। निगरानी न हो तो गैजेट्स कई तरह के खतरे भी उत्पन्न कर सकता है। गैजेट्स की लत कई तरह की शारीरिक, मानसिक परेशानियों को जन्म देती है। प्रधानाचार्य पीएस अधिकारी ने कहानी की सीख से बच्चों को अवगत कराया।

संस्कारशाला के माध्यम से मैं दैनिक जागरण की इस अनूठी पहल का स्वागत करता हूं। इसमें प्रकाशित शिक्षाप्रद कहानियां न केवल बच्चों में कहानी कला के प्रति रुचि जागृत करेंगी, उन्हें संस्कारवान भी बनाएंगी।

-गंगा सिंह रावत, शिक्षक

संस्कारशाला की कहानियों से हमें प्रेरणा मिलती है। आधुनिक परिवेश में अभिभावक प्यार व समझदारी के साथ बच्चों को समझाएं कि गैजेट्स का इस्तेमाल ज्ञानार्जन के लिए ही करना चाहिए। अनमोल समय को नष्ट न करें।

-गीता पांडेय, शिक्षिका

कहानी का अंत मुझे बहुत अच्छा लगा। जिसमें अमर व उसके दादाजी दोस्त बन जाते हैं। दादाजी भी टैबलेट का प्रयोग करने लगते हैं। सकारात्मक रूप से लिया जाए तो नई टेक्नोलाजी भी दो पीढ़ी में अंतर मिटा सकती है।

-कनक भट्ट, छात्रा

संस्कारशाला की इस कहानी से यही सीख मिलती है कि मोबाइल, टैबलेट का प्रयोग समय के अनुसार आवश्यक है, किंतु इनका ज्यादा प्रयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। शारीरिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना चाहिए।

-रोशन कुमार, छात्र

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।