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कुमाऊं के च्यूरा आयल को मिला जीआई टैग, गठिया दूर करने से लेकर अनेक हैं औषधीय फायदे

Chyura oil of Kumaon got GI tag औषधीय गुणों से भरपूर कुमाऊं के च्यूरा आयल को जीआई टैग मिला है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर दी है। जीआई च्यूरा आयल की डिमांड बढने के साथ ही व्यावसयिक तौर पर इसका उत्पादन भी शुरू हो सकता है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 02:21 PM (IST)
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कुमाऊं मंडल के च्यूरा के पेड़ निकलने वाले आयल (Chyura oil) को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) मिला है।
जागरण संवाददाता हल्द्वानी : : Chyura oil of Kumaon got GI tag : उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पर्वतीय जिले में होने वाले च्यूरा के पेड़ निकलने वाले आयल (Chyura oil) को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) मिला है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। औषधीय गुणों से भरपूर अब च्यूरा आयल की डिमांड बढ़ने के साथ उत्पादकों को भी आर्थिक लाभ होगा।

एफआरआई कर रहा च्यूरा के पेड़ पर रिसर्च 

च्यूरा का पेड़ बटर ट्री नाम से जाता है। इसकी जड़ से लेकर पत्तियां तक लाभदायक होती हैं। औषधीय, धार्मिक एवं बहुपयोगी महत्ता को देखते हुए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) इस रिसर्च कर रहा है। चंपावत जिला प्रशासन भी बजौन में इसकी नर्सरी तैयार कर रहा है।

च्यरा के फूल खिलने पर शहद का अच्छा उत्पादन

इंडियन बटर ट्री के नाम से जाना जाने वाला च्यूरा काली, सरयू, पूर्वी रामगंगा और गोरी गंगा नदी घाटियों में में पाया जाता है। इसका फल बेहद मीठा होता है। च्यूरा का वनस्पतिक नाम 'डिप्लोनेमा बुटीरैशिया' है। समुद्र तल से तीन हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसके पेड़ 12 से 21 मीटर तक लंबे होते हैं। पहाड़ के घाटी वाले क्षेत्रों में इसके फूल खिलने पर शहद का काफी उत्पादन होता है।

च्यूरा आयल का व्यावसायिक उत्पादन भी न के बराबर

च्यूरा का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार व जिला प्रशासन की ठोस पहल का इंतजार है। इसके महत्व को देखते हुए काश्तकारों को भी उत्पादन से जोड़ा जा सकता है। अभी तक जनपद में स्थानीय ग्रामीण ही इसकी फल, पत्ती व बीजों का उपयोग अपने लिए करते हैं। च्यूरा आयल का व्यावसायिक उत्पादन भी न के बराबर है। 15 साल में पेड़ फल देने योग्य बनता है।

चम्पावत में इन स्थानों पर होता है च्यूरा

चम्पावत के पोथ, गंगसीर, स्वाला, बडोली, मझेड़ा, च्यूरानी, सिंगदा, अमोड़ी, साल, सल्ली, आमखेत, बगोड़ी, चल्थी, अमौन, सेरा, बंडा, खेत, दियूरी, नगरूघाट, पंचेश्वर, खाईकोट, रीठा, मछियाड़, साल, खटोली, कजिनापुनौला, पदमपुर, थुवामौनी, सेरा, सिन्याड़ी आदि में च्यूरा के दो-चार पेड़ है। एक साथ च्यूरा के पेड़ कम ही जगहों पर हैं।

इन रोगों में कारगर है च्यूरा का तेल (Chyura oil medicinal benefits : )

  • च्यूरा में पर्याप्त औषधीय गुण हैं। इसके तेल की मालिश गठिया रोग के लिए कारगर है।
  • च्यूरा का तेल एलर्जी दूर करने की भी यह अचूक दवा है।
  • च्यूरा के दाने को सुखाने के बाद पीसकर घी बनाया जाता है।
  • फटे होंठ और त्वचा के सूखेपन को भी च्यूरा आयल दूर करता है।
  • च्यूरा के फलों की गुठली से ही वनस्पति घी और तेल बनता है।
  • च्यूरा में वसा की मात्रा काफी अधिक होने से इससे साबुन भी बनने लगा है।
  • च्यूरा की खली जानवरों के लिए सबसे अधिक पौष्टिक मानी जाती है।
  • च्यूरा की पत्ती व खली को जलाकर इसके धुएं से मच्छर भगाए जाते हैं।
  • च्यूरा के पेड़ की लकड़ी नाव बनाने में प्रयुक्त होती है।
  • गृह प्रवेश से लेकर अन्य मांगलिक कार्यों में च्यूरा के पत्तों की माला बनाकर मकान के चारों तरफ लगाई जाती है।

बजौन में नर्सरी हो रही तैयार

चम्पावत में च्यूरा का उत्पादन बढ़ाने के लिए बजौन में नर्सरी तैयार की जा रही है। वन विभाग द्वारा च्यूरा की विभिन्न प्रजातियां लगाकर रिसर्च की जा रही हैं। जिस भी प्रजाति की ग्रोथ अच्छी होगी उसे विस्तार दिया जाएगा। उत्पादन बढ़ेगा तो इससे बनने वाले उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे। च्यूरा आयल निकालने की इकाई भी खोलने की कवायद की जाएगी।

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