आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि ग्रहों की तरह ही धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं और अपने गंतव्य को लौट जाते हैं। धूमकेतु 12पी/पोंस-ब्रूक्स भी अब जैसे-जैसे सूर्य के निकट पहुंच रहा है इसकी चमक भी बढ़ती जा रही है। 21 अप्रैल को यह सूर्य के सर्वाधिक करीब होगा।
रमेश चंद्रा, नैनीताल। धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स इन दिनों आसमान में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 21 अप्रैल को यह धूमकेतु सूर्य के सर्वाधिक नजदीक पहुंचेगा। फिलहाल इसे बृहस्पति ग्रह (जुपिटर) के इर्द-गिर्द मंडराते देखा जा सकता है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि ग्रहों की तरह ही धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं और अपने गंतव्य को लौट जाते हैं। धूमकेतु 12पी/पोंस-ब्रूक्स भी अब जैसे-जैसे सूर्य के निकट पहुंच रहा है इसकी चमक भी बढ़ती जा रही है।
21 अप्रैल को यह सूर्य के सर्वाधिक करीब होगा। फिलहाल इसकी पूंछ भी लंबी होने लगी है, जिसकी लंबाई भी लाखों किमी में है।
नग्न आंखों से धुंधला आएगा नजर
धूमकेतुओं पर रिसर्च कर रहे दुनियाभर के विज्ञानियों के अलावा एस्ट्रो फोटोग्राफर इस पर नजर बनाए हुए हैं। हरे रंग का यह धूमकेतु बेहद आकर्षक लग रहा है। इसे दूरबीन के जरिए आसानी से देखा जा सकता है। यद्यपि नग्न आंखों से धुंधला नजर आ रहा है। आठ अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान इसे दिन के समय भी देखने की होड़ लगी रही। जिस कारण दुनिया के कई देशों के लोग उत्तरी अमेरिका पहुंचे हुए थे।
धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स की खास बात यह है कि इसे सूर्य का चक्कर लगाने में इसे 71 वर्ष का समय लगता हैं। यानी हम इसे 71 साल बाद करीब से देख पर रहे हैं। सूर्य के नजदीक पहुंचने पर इसे देख पाना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि तब सूर्य की चकाचौंध रोशनी में यह समा जाएगा।
सूर्यास्त के बाद पश्चिम में आएगा नजर
डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार पोंस-ब्रूक्स को सूर्यास्त के बाद पश्चिम में देखना होगा। आजकल यह बृहस्पति ग्रह के आसपास नजर आ जाएगा। यह सूर्य के सापेक्ष बृहस्पति के करीब होगा। यह इन दिनों पृथ्वी से लगभग 155 मिलियन किमी की दूरी पर है। 21 अप्रैल के बाद इसे देख पाना मुश्किल होगा।
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