व्यावसायिक निर्माण पर सख्ती : डीएम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सचिव शहरी विकास देंगे हलफनामा
करीब ढाई दशक पहले सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी सरोवर नगरी में व्यावसायिक निर्माण धड़ल्ले से होने का मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पहुंच गया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 14 Apr 2019 09:42 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : करीब ढाई दशक पहले सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी सरोवर नगरी में व्यावसायिक निर्माण धड़ल्ले से होने का मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पहुंच गया है। एनजीटी ने डीएम नैनीताल को नोडल अधिकारी बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अब तक की गई कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट दो माह में पेश करने के आदेश पारित किए हैं। साथ ही एक सप्ताह में शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। एनजीटी के आदेश के बाद एक बार फिर पर्यावरणविदों में झील संरक्षण को लेकर उम्मीद जगी है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल में व्यावसायिक निर्माणों पर पाबंदी लगा दी थी। इस आदेश के बाद शहर में ग्रुप हाउसिंग, नए व्यावसायिक, होटल-दुकानों का निर्माण भी बैन कर दिया गया था, लेकिन नियम कायदों को ताक पर रखकर अवैध तरीके से व्यावसायिक और गु्रप हाउसिंग का निर्माण बेरोकटोक होता रहा। नैनी झील के कैचमेंट सूखाताल, अयारपाटा, सात नंबर क्षेत्र कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गए। कंक्रीट के जंगल की वजह से नैनी झील रिचार्ज करने वाले रास्ते बंद हो गए। यही वजह है कि झील के अस्तित्व को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। इस चिंता को देखते हुए फ्रेंड्स सोसाइटी के महासचिव शरद तिवारी की ओर से एनजीटी में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार द्वारा नैनीताल में व्यावसायिक निर्माण पर सख्ती से रोक लगाने की कार्रवाई नहीं की गई। बिड़ला रोड, सूखाताल क्षेत्र तथा धामपुर बैंड इलाके में व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि अजय रावत बनाम भारत सरकार से संबंधित मामले में दिए गए सर्वोच्च अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। शुक्रवार को एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श गोयल व सदस्य जस्टिस एन नंदा की खंडपीठ ने डीएम नैनीताल को नोडल अधिकारी बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की गई, प्रगति रिपोर्ट दो माह में पेश करने के आदेश पारित किए हैं। एनजीटी ने डीएम के साथ ही उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा सचिव शहरी विकास को एक सप्ताह में हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।
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