काॅमनवेल्थ में गोल्ड जीतकर Lakshya Sen ने रचा इतिहास, छह साल की उम्र में थाम लिया था शटल
Lakshya Sen Commonwealth Games 2022 ब्रिटेन के बमिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन पुरुष सिंगल्स के फाइनल में लक्ष्य सेन ने मलेशिया के त्जे यंग को शिकस्त देकर भारत के खाते में 20वां गोल्ड मेडल लाया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 05:20 PM (IST)
नैनीताल, जागरण संवाददाता : CWG 2022 : कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के आखिरी दिन भारत की झोली में 20 वां गोल्ड लाने वाले शटलर लक्ष्य (Lakshya Sen) सेन की जीत का जश्न उत्तराखंड के साथ पूरा देश मना रहा है।
ब्रिटेन के बमिंघम में पुरुष सिंगल्स के फाइनल में लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) ने मलेशिया के त्जे यंग को तीन गेम तक चले मुकाबले में करारी शिकस्त दी है।इसी साल भारत के थामस कप जीतने के बाद लक्ष्य पीएम मोदी के लिए अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई लेकर गए थे। चलिए जानते हैं लक्ष्य सेन के व्यक्तिगत जीवन और उनकी उपलब्धियों के बारे में।
लक्ष्य सेन को विरासत में मिला बैडमिंटन
Who is Lakshya Sen : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मध्यम वर्गीय परिवार से निकले लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) का जन्म 16 अगस्त 2001 को हुआ। उनका परिवार 80 वर्षों से अधिक समय से अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रह रहा है।लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन जिला परिसद में नौकरी करते थे। दादा ने सिविल सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। वहीं कई खिताब अपने नाम किए। जबकि पिता डीके सेन भी वर्तमान में कोच हैं। पहले वह साई के कोच थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।दादा ने लक्ष्य को पकड़ना सिखाया शटल
Lakshya Sen personal life : लक्ष्य को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। दादा ने हाथ पकड़कर पोते लक्ष्य को बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। पिता और दादा जी के नक्शे पर चले लक्ष्य ने भी बैडमिंटन में ही प्रतिभा दिखाई। लक्ष्य ने जिला, राज्य के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए। इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पैट जमाई। 10 वर्ष की उम्र में लक्ष्य ने इजराइल में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब स्वर्ण पदक के रूप में जीता था।बड़ेे भाई चिराग भी अंतरराष्ट्रीय शटलर
वह अपने बड़े भाई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग से भी प्रेरित हुए। माता निर्मला सेन पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षिका थी। 2018 में लक्ष्य के पिता ने डीके सेन ने वीआरएस ले लिया था। माता ने भी स्कूल छोड़ बच्चों के प्रशिक्षण के लिए परिवार समेत बंगलुरू में शिफ्ट हो गए थे। वहां लक्ष्य और चिराग ने प्रशिक्षण लिया और पिता डीके सेन भी प्रकाश पादूकोण अकादमी में सीनियर कोच हैं।पुलेला गोपीचंद से ले चुके हैं प्रशिक्षण
Lakshya Sen Brother Chirag Sen : लक्ष्य सेन आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय शटलर हैं। उनसे पहले 1947 में प्रकाश नाथ, 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। महिला वर्ग में साइना नेहवाल भी 2015 में इस प्रतिस्पर्द्धा का फाइनल खेल चुकी हैं। लक्ष्य सेन बैडमिंटन के विख्यात विमल कुमार, पुलेला गोपीचंद और योंग सूयू से प्रशिक्षण ले चुके हैं।जानिए Lakshya Sen की उपलब्धियां
- भारतीय बैटमिंटन खिलाड़ियों ने इसी साल थॉमस कप जीतकर इतिहास रचा दिया है। जिसमें लक्ष्य सेन की सबसे अहम भूमिका थी।
- लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण
- इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण
- इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण
- योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत
- डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण
- ऐशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- यूथ ओलंपिक में रजत
- वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक भारत को पदक दिलाया है।
पीएम मोदी और तेंदुलकर ने की थी प्रशंसा
लक्ष्य सेन इसी साल मार्च में हुए योनेक्स आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गए थे। लेकिन फाइनल में कड़े मुकाबले में वह दुनिया के नंबर एक और ओलंपिक चैंपियन विक्टर एक्सेलसेन से वह मात खा गए। जिसके बाद पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनका हौसला बढ़ाया है। दोनों अपने ट्वीट में कहा है कि आप पर देश को गर्व हैं।यह भी पढें : पाकिस्तान के खिलाफ दो विकेट झटकने वाली Sneh Rana को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने बेच दी थी पूरी खेती