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कांस्‍टेबल सविता संवार रहीं कूड़ा बीनते बच्‍चों का भविष्‍य, 52 बच्‍चों को लिया 'गोद'

बनबसा थाने में तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल सविता कोहली थकाऊ ड्यूटी पूरी करने के बावजूद हर रोज दो घंटे का समय कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने में व्यतीत कर रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 29 Nov 2018 06:02 PM (IST)
कांस्‍टेबल सविता संवार रहीं कूड़ा बीनते बच्‍चों का भविष्‍य, 52 बच्‍चों को लिया 'गोद'
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी। चंपावत, उत्तराखंड के बनबसा थाने में तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल सविता कोहली थकाऊ ड्यूटी पूरी करने के बावजूद हर रोज दो घंटे का समय कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाने में व्यतीत कर रही हैं। सविता ऐसे 52 बच्चों की मां व शिक्षिका की भूमिका में हैं, जिनके हाथों में कूड़े के थैले थे।

इनमें से कुछ मासूम सविता के ममत्व की छांव में बेहतर भविष्य की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता गरीब होने के साथ-साथ अशिक्षित भी हैं। पुलिस कांस्टेबल सविता अपनी ड्यूटी के साथ-साथ ऐसे बच्चों को शिक्षित बनाने की व्यक्तिगत पहल में निस्वार्थ भाव व पूर्ण समर्पण से जुटी हैं।

सविता ने बताया कि बस स्टेंड के पास उनकी ड्यूटी लगी थी, इस दौरान छह-सात साल की उम्र के दो बच्चों को उन्होंने कूड़ा बीनते देखा। उनसे पूछा, कि स्कूल क्यों नहीं जाते। बच्चों के चेहरे पर खामोशी देख वो समझ गईं और कहा कि कल से मैं तुम्हें पढ़ाऊंगी। अगले दिन सविता खुद टाट-चटाई, कॉपी, किताब, पेंसिल एवं अन्य स्टेशनरी खरीदकर मीना बाजार झोपड़-पट्टी इलाके में पहुंच गई। यहां बाहर से आकर मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले गरीब लोगों के परिवार रहते हैं। गरीबी के साथ-साथ अशिक्षा की वजह से मां-बाप बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे थे। जबकि कुछ परिवार ऐसे थे, जो बच्चों के श्रम से ही घर खर्च चलाते थे। सविता ने इन परिवारों से बात कर उन्हें समझाया और बच्चों को उनकी क्लास में भेजने को कहा। कुछ दिन मशक्कत के बाद सविता उन्हें समझाने में कामयाब हुई। इस तरह बनबसा नगर पंचायत परिसर का खुला मैदान एक पाठशाला में तब्दील हो गया। उसी दिन से ड्यूटी खत्म होने के बाद सविता शिक्षिका का भी दायित्व निभाती आ रही हैं। उनकी क्लास में इस समय 52 बच्चे शामिल हैं।

ऐसे कर रहीं काम, एसओ ने भी किया सहयोग

सविता बताती हैं, बच्चे पढऩा और लिखना सीख जैसे-जैसे प्रारंभिक शिक्षा के लिए तैयार होते जाते हैं, उन्हें नजदीकी आंगनबाड़ी और स्कूल में दाखिला दिला देती हैं। सविता कहती हैं, यह आसान नहीं था क्योंकि शुरुआत में लगा कि पुलिस की ड्यूटी पूरी करने के बाद एक शिक्षिका की ड्यूटी भी निभाना बेहद कठिन होगा। तालमेल कैसे बैठेगा। लेकिन धीरे-धीरे तालमेल बैठ गया। बनबसा थानाध्यक्ष राजेश पांडे को भी जब इस बात का पता चला तो उन्होंने सविता की ड््यूटी बदल उनके इस नेक काम में सहयोग ही किया।

पति भी पुलिस विभाग में सेवारत

मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के जगतर गांव निवासी सविता की ससुराल कनालीछीना में है। 2017 में पुलिस सेवा में भर्ती हुई सविता के पति गोविंद राम कोहली भी पुलिस में हैं। इस समय वह चंपावत पुलिस कार्यालय में तैनात हैं। सविता का बड़ा बेटा यश आठ व छोटा बेटा वंश पांच साल का है।

तड़के चार बजे से शुरू हो जाती है सविता की ड्यूटी

पाठशाला के बच्चों की पढ़ाई व अपनी ड्यूटी का निर्वहन सविता बखूबी करतीं हैं। तड़के चार से आठ बजे ट्रैफिक ड्यूटी करने के बाद सविता घर लौट अपने बच्चों को तैयार करती हैं। उसके बाद साढ़े दस बजे गरीब बच्चों को पढ़ाने पहुंचती हैं। करीब दो-ढाई घंटे पढ़ाने के बाद घर लौटती हैं। घर में बच्चों की देखरेख व कुछ देर उनके साथ रहने के बाद चार बजे से दोबारा ट्रैफिक ड्यूटी शुरू हो जाती है। दिनभर व्यस्तता के बावजूद सविता के चेहरे पर न थकान दिखती है न शिकन। जरूरतमंद बच्चों को शिक्षण सामग्र्री की व्यवस्था भी सविता अपनी ओर से ही करती हैं।

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