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कभी उक्रांद का गढ़ रहे इस शहर में अब भाजपा-कांग्रेस के बीच सिमटा मुकाबला, अन्य दलों का खस्ता हाल

नैनीताल से निकाय चुनाव में अब तक भाजपा का कोई चेयरमैन नहीं बना है लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा लगातार दो बार जीत दर्ज की है। आम चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों ने एक-एक बार जनसंपर्क कर माहौल बना दिया है जबकि अब दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने घर-घर प्रचार कर रहे हैं। भाजपा ने तो शक्ति केंद्रों के अंतर्गत पथ सभाओं का आयोजन कर दिया है।

By kishore joshi Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 09 Apr 2024 05:02 PM (IST)
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कभी उक्रांद का गढ़ रहे इस शहर में अब भाजपा-कांग्रेस के बीच सिमटा मुकाबला
किशोर जोशी, नैनीताल।  Lok Sabha Election 2024: सरोवर नगरी में भाजपा-कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन बढ़ाने के लिए प्रचार अभियान तेज कर दिया है लेकिन क्षेत्रीय दल उक्रांद का प्रचार कहीं नजर नहीं आ रहा है। बसपा की भी कमोवेश यही हालत है। यहां चुनाव फिलहाल भाजपा-कांग्रेस के बीच सिमटता जा रहा है।

सरोवर नगरी कभी उक्रांद का गढ़ रही है। पांच साल पहले तक यहां पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण भी उक्रांद के टिकट पर जीते थे। उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष रहे डा. नारायण सिंह जंतवाल यहां से विधायक रह चुके हैं। जबकि एक बार निकटतम प्रतिद्वंद्वी भी रह चुके हैं।

शहर से निकाय चुनाव में अब तक भाजपा का कोई चेयरमैन नहीं बना है लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा लगातार दो बार जीत दर्ज की है। आम चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों ने एक-एक बार जनसंपर्क कर माहौल बना दिया है जबकि अब दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने घर-घर प्रचार कर रहे हैं।

भाजपा ने तो शक्ति केंद्रों के अंतर्गत पथ सभाओं का आयोजन कर दिया है। बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की टीम को पूरी जिम्मेदारी सौंप दी है। वरिष्ठ नेताओं को बूथों का प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस ने भी मंडलम बनाए हैं और वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी है लेकिन अब तक उक्रांद के कभी गढ़ रहे शहर में ना तो प्रत्याशी शिव सिंह रावत ने उपस्थिति दर्ज कराई, ना ही दल की अब तक आम चुनाव को लेकर बैठक हो सकी है।

कहने को शहर में दल की नगर इकाई का गठन है लेकिन वह सक्रिय नहीं है। भाजपा के विधानसभा प्रभारी अरविंद पडियार के अनुसार शहर क्षेत्र में 43 बूथ में करीब 31 हजार मतदाता हैं।  एक बूथ में 11 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई है जबकि 30 मतदाताओं में एक पन्ना प्रमुख बनाया गया है।

'आप' का भी वजूद नहीं

शहर में आम आदमी पार्टी कभी बेहद सक्रिय थी लेकिन वरिष्ठ नेता प्रदीप दुम्का सहित शाकिर अली व अन्य को उपेक्षित करने के बाद आप की भी सक्रियता बेहद कम हो गई है। आप से विधानसभा चुनाव लड़े हेम आर्य ने भी भाजपा में वापसी कर ली है।

नगर इकाई व ब्लाक इकाईयों के गठन में उपेक्षा से आहत होकर ही वरिष्ठ नेता प्रदीप दुम्का सहित पूरी निष्क्रिय हो गए। आम आदमी पार्टी ने यहां से प्रत्याशी नहीं उतारा है लेकिन कांग्रेस के साथ अब तक आप का प्रचार अभियान शुरू नहीं हो सका है। उधर बसपा की इकाई का अब तक अता पता नहीं है।

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