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कार्बेट में बाघ-हाथी तो आसपास पक्षियों का चहचहाता संसार

कार्बेट व उसके आसपास छह सौ से अधिक प्रजाति के खूबसूरत व दुर्लभ पक्षियों का संसार भी है। इसी वजह से यह क्षेत्र अब पक्षी प्रेमियों के लिए बेहतरीन डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पक्षी अवलोकन के साथ यहां के नदी-नाले जलाशय सघन वन और जैव विविधता आपको रामनगर (नैनीताल) आने को मजबूर कर देगी। कार्बेट नेशनल पार्क में हर साल औसत ढाई लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।

By trilok rawat Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 26 Jan 2024 07:53 PM (IST)
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रामनगर में कोसी नदी किनारे से पक्षियों को कैमरे में उतारते बर्ड वाचर। सौ. संजय छिमवाल

त्रिलोक रावत, रामनगर। बेशक कार्बेट नेशनल पार्क व उसके आसपास का वन क्षेत्र बाघों के लिए प्रसिद्ध है। 560 बाघों के साथ उत्तराखंड देश में तीसरे नंबर पर है तो अकेले कार्बेट में 260 बाघ हैं। कार्बेट व उसके आसपास की बात करें तो यह अब बाघों के साथ-साथ बर्ड वाचिंग टूरिज्म के लिहाज से भी विकसित हो रहा है।

कार्बेट व उसके आसपास छह सौ से अधिक प्रजाति के खूबसूरत व दुर्लभ पक्षियों का संसार भी है। इसी वजह से यह क्षेत्र अब पक्षी प्रेमियों के लिए बेहतरीन डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पक्षी अवलोकन के साथ यहां के नदी-नाले, जलाशय, सघन वन और जैव विविधता आपको रामनगर (नैनीताल) आने को मजबूर कर देगी।

कार्बेट नेशनल पार्क में हर साल औसत ढाई लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। पशु-पक्षियों के अद्भुत संसार के अलावा यहां लोग स्वयं को प्रकृति के बहुत करीब पाते हैं। हाल के वर्षों में तमाम देशी व विदेशी बर्ड वाचर हर साल पक्षी अवलोकन व फोटोग्राफी के लिए रामनगर व नैनीताल का रूख कर रहे हैं।

कार्बेट में पाया जाने वाला पैराडाइज फ्लाईकेचर पक्षी। सौ. संजय

टूरिज्म की यह नई अवधारणा स्थानीय लोगों के लिए आर्थिकी का भी बड़ा जरिया बन रही है। होम स्टे व स्थानीय खानपान को भी बढ़ावा मिल रहा है। कार्बेट के भीतर ढिकाला, बिजरानी, झिरना, दुर्गादेवी, पाखरो, सोनानदी, रामगंगा व गिरिजा जोन के अलावा रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज, सीतावनी व पवलगढ़ क्षेत्र, तराई पश्चिमी वन प्रभाग के फाटो पर्यटन जोन में सैकड़ों प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी लुभाने वाली है।

कार्बेट में पाया जाने वाला ग्रेट हार्नबिल पक्षी। सौ. संजय

धुव्रीय ठंडे प्रदेशों से भी मेहमान परिंदे आइबिसबिल, सुरखाब (रूडी शेल्डक) आदि नवंबर से फरवरी तक यहां डेरा डालते हैं। पक्षी विशेषज्ञ संजय छिमवाल बताते हैं कि कार्बेट व आसपास पाए जाने वाली पक्षियों की प्रजाति में ब्लू केप्ड राक थ्रोस, ब्लू टेल्ड बी ईटर,ब्रोनबुक,कामन बबलर,क्रस्टेड बटिंग,सनबर्ड,डालरबर्ड, इंडियन रोबिन,माउंटेन बुलबुल,राक पिगोन,हार्नबिल समेत अनेक प्रजाति बर्ड वाचर का ध्यान खींचती हैं।

कार्बेट व आसपास का क्षेत्र बर्ड वाचिंग के लिए अच्छा डेस्टिनेशन है। सीजन में ठंडे प्रदेशों से आने वाले तमाम पक्षियों के लिए बेहतरीन लैंडस्केप है। बाहरी इलाके में भी अच्छे टेल है। स्थानीय ग्रामीणों बर्ड वाचर का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इससे ईको टूरिज्म के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। डा. धीरज पांडे, निदेशक कार्बेट टाइगर रिजर्व रामनगर

पवलगढ़ कंजरवेशन रिजर्व

रामनगर वन प्रभाग के अधीन पवलगढ़ कंजरवेशन रिजर्व पक्षी अवलोकन के लिए जाना जाता है। यहां भ्रमण के लिए विभागीय वेबसाइट (पवलगढ़कंजरवेशनरिजर्व.यूके.जीओवी.इन) में एडवांस आनलाइन बुकिंग करना जरूरी है।

बुकिंग होने के बाद वन विभाग से पंजीकृत जिप्सी बुक कराकर टेड़ा गेट से पवलगढ़ कंजरवेशन रिजर्व पहुंचते हैं। 58.25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पवलगढ़ कंजरवेशन रिजर्व फैला हुआ है। डीएफओ दिगंथ नायक बताते हैं कि यहां बाघ-गुलदार के अलावा खास आकर्षण ही पक्षियों की 365 प्रजातियों की मौजूदगी है।

करीब 400 प्रजाति की वनस्पतियां है। 2015 से दो बार यहां बर्ड फेस्टिवल कराया जा चुका है। बर्ड वाचिंग के बढ़ते क्रेज को देखते हुए अब यहां पैदल नेचर ट्रेल प्रस्तावित है।

नैना देवी हिमालयन बर्ड रिजर्व

रामनगर के पवलगढ़ कंजरवेशन से करीब 50 किमी की दूरी पर नैना देवी हिमालयन बर्ड रिजर्व भी पक्षी व तितलियों का दीदार करने के लिए शानदार डेस्टिनेशन है। नैनीताल शहर से 15 किमी दूर व समुद्र तल से 2084 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर 111.9 वर्ग किमी में फैले रिजर्व में 200 से अधिक पक्षी प्रजाति हैं।

पक्षियों में चीर फीजेंट, ग्रेटर स्पाटेड ईगल, रेड हेडेड वल्चर, हिमालयन ग्रिफान व सनबर्ड समेत तमाम रंग-बिरंगे परिंदें आपको यहां दिखेंगे। रामगंगा नदी, चौड़ी पत्ती वाले वन, बार्किंग डीयर, नेवला समेत तमाम वन्यजीव भी यहां की विविधता को दर्शाते हैं।

किलबरी, पंगोट, बारापत्थर आदि आबादी वाले क्षेत्र अब पूरी तरह डे विजिट व नाइट स्टे के लिए उपयुक्त स्थल हैं। यहां करीब 150 से अधिक होटल, रिजार्ट और कैंप साइट हैं।

पर्यटन जोन में उत्तराखंड का पहला ट्री हाउस

रामनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर घने वन क्षेत्र फाटो में एक ट्री हाउस है। पूरी तरह सुरक्षित व पक्का ट्री हाउस बरगद के पेड़ पर बनाया गया है। दिन भर पक्षी अवलोकन के बाद रात में जंगल के बीच पेड़ पर ऊंचे बने शानदार सुसज्जित कक्ष में रात गुजारने का अलग ही आनंद मिलेगा।

रामनगर के फाटो जोन में दिखा फ्लाईकेचर पक्षी। सौ. संजय

उत्तराखंड में वन विभाग का यह पहला ट्री हाउस है। इसमें रात में दो लोगों के ठहरने का किराया चार हजार रुपये है। यहां से भी आसपास की जैव विविधता, वन्यजीव व पक्षियों को निहारा जा सकता है।

रामनगर के पवलगढ़ में शिकारा पक्षी। सौ. संजय

इसके अलावा यहां ठहरने के लिए मिट्टी के दो पारंपरिक घर बनाए गए हैं। पुरानी वन चौकियों का भी जीर्णाेद्वार कर पर्यटकों के लिए दस कक्ष बनाए जा रहे हैं। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य कहते हैं कि फाटो पर्यटन वन क्षेत्र पक्षी अवलोकन के लिए बेहतर जगह है। यहां आने के लिए बुकिंग आफलाइन है।

बर्ड वाचिंग के लिए कार्बेट से बाहर डेस्टिनेशन

बर्ड वाचिंग के लिए कार्बेट नेशनल पार्क से बाहर रामनगर की कोसी नदी का बैराज क्षेत्र, गिरिजा मंदिर, कुमेरिया व तुमड़िया जलाशय, टेड़ा वन क्षेत्र, क्यारी, सीतावनी आदि शानदार डेस्टिनेशन हैं। यह रामनगर शहर के 10-30 किमी के दायरे में हैं। नवंबर-दिसंबर से कोसी बैराज, गिरिजा मंदिर एवं आसपास के इलाकों में साइबेरियन पक्षियों का पहुंचना शुरू हो जाता है। अत्यंत ठंडे इलाकों में पाए जाने वाला व साफ पानी का दुर्लभ पक्षी आइबिसबल, सुरखाब, कोरमोरेंट,क्रेन व स्टार्क पक्षी मार्च तक यहां की शान बने रहते हैं।

ऐसे पहुंचें रामनगर

यदि कार्बेट पार्क के अलावा सीतावनी आना है तो यहां जिप्प्सी सफारी के लिए आनलाइन एडवांस बुकिंग करानी होगी। बुकिंग कन्फर्म होने के बाद रामनगर हवाई, रेल व सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। पंतनगर तक हवाई मार्ग की सुविधा है। पंतनगर से दो घंटे में कार से रामनगर पहुंच सकते हैं। मुंबई व दिल्ली से ट्रेन से भी सीधे रामनगर पहुंच सकते हैं।