कार्बेट के पालतू हाथियों का बनेगा डीएनए प्रोफाइल, जानिए क्या प्रोजेक्ट एलीफैंट, जिसके तहत हो रहा काम
Corbett Tiger Reserve के निदेशक राहुल ने बताया कि डीएनए प्रोफाइल भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद से की जानी है। जिससे कि हाथियों का एक डेटा बेस तैयार हो सके और इसका अध्ययन किया जा सके। जल्द ही सीटीआर के पास जो भी हाथी हैं उनकी डीएनए सैपलिंग शुरू होगी।
By Prashant MishraEdited By: Updated: Wed, 23 Feb 2022 04:31 PM (IST)
त्रिलाेक रावत, रामनगर : Corbett Tiger Reserve कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) में पहली बार पालतू हाथियों का डीएनए प्रोफाइल तैयार किया जाएगा। इस संबंध में कार्बेट प्रशासन को प्रोजेक्ट एलीफेंट से दिशा निर्देश भी दिए जा चुके हैं। जल्द विभागीय पशु चिकित्सकों का दल हाथियों की डीएनए सेंपलिंग शुरू करेगा। जबकि अन्य राज्यों में यह कार्य पूर्व में पूरा भी हो चुका है।
प्रोजेक्ट एलीफेंट की ओर से कार्बेट प्रशासन (Corbett) को पत्र भेजा गया है। जिसमें पालतू हाथियों की डीएनए सेंपलिंग कराने के लिए कहा गया है। विभाग अब डीएनए जांच के लिए अपने यहां मौजूद 18 हाथियों के ब्लड केसेंपल लेगा। जिससे हाथियों का डीएनए प्रोफाइल तैयार किया जा सकेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान Wildlife Institute of India (WII) को इसका जिम्मा सौंपा गया है।
प्रोफाइल बनाने से पालतू हाथियों का डाटा बेस तैयार होने पर इनकी आयु, आनुवांशिकता समेत अन्य कई बिंदुओं पर जानकारी मिल सकेगी। सीटीआर के निदेशक राहुल ने बताया कि डीएनए प्रोफाइल भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद से की जानी है। जिससे कि हाथियों का एक डेटा बेस तैयार हो सके और इसका अध्ययन किया जा सके। जल्द ही सीटीआर के पास जो भी हाथी है उनकी डीएनए सैपलिंग शुरू की जाएगी।
इसलिए हो रही सैंपलिंग
कार्बेट टाइगर रिजर्व (Corbett Tiger Reserve) के वरिष्ठ पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा के मुताबिक डीएनए जांच से हाथियों का अवैध व्यापार रुक सकेगा। उदाहरण के लिए कोई पालतू हाथी मर गया तो उसके कागज व माइक्रोचिप कहीं भी दूसरे जिंदा हाथी में दिखा देते हैं। उसमें वैध कागज लगने से वह जिंदा हाथी क्यो व कहाँ से लाया गया है, इसकी जानकारी नही हो पाती थी। इसके अलावा एेसी सैंपलिंग से देशभर में पालतू हाथियों की पहली बार सही संख्या का भी पता लग जायेगा। कार्बेट से पहले यह व्यवस्था छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली व हरियाणा में शुरू हो गई है।
प्रोजेक्ट एलिफेंट (हाथी परियोजना)भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हॉथियों की संख्या में आई गिरावट के कारण हाथियों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु सन् 1992 में हाथी परियोजना (Project Elephant) की शुरुआत की थी। हाथी परियोजना का मुख्य उद्देश्य जंगली हाथियों के प्राकृतिक वास का संरक्षण करना, पालतू हाथियों के कल्याण के लिए कार्य करना, मनुष्य-पशु संघर्ष के मुद्दे को हल करना और बंदी हाथियों की देखभाल करना है।
देश में कहां-कहां लागू है यह परियोजना वर्तमान में हाथी परियोजना मुख्य रूप से 16 राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित की जा रही है। इन राज्यों ने विभिन्न हाथी संरक्षण क्षेत्रों का निर्माण किया है। ये राज्य आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, कर्नाटक, केरल, तमिल नाडु, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़ व झारखण्ड हैं।
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