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उत्‍तराखंड में पहली बार कार्निया ट्रांसप्लांट, सुशीला तिवारी अस्पताल में बुजुर्ग मह‍िला को मिली रोशनी

Cornea transplant in Sushila Tiwari Hospital सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में लालकुआं निवासी 81 वर्षीय एक महिला को ट्रांसप्लांट किया गया। जिनकी दोनों पुतलियां खराब हो चुकी थी। एक अन्य नेत्रहीन रोगी का भी जल्दी ही कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2022 09:19 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2022 09:19 AM (IST)
सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में उत्तराखंड का पहला कार्निया ट्रांसप्लांट हुआ है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Cornea transplant in Sushila Tiwari Hospital : सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के लिए बड़ी उपलब्धि है। अस्पताल में उत्तराखंड का पहला कार्निया ट्रांसप्लांट हुआ है। 81 वर्ष की बुजुर्ग अब फिर से दुनिया देख सकेंगी। सफल आपरेशन के बाद चिकित्सकों में भी जश्न का माहौल है।

अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष व नेत्र बैंक प्रभारी डा. जीएस तितियाल ने बताया कि नेत्र बैंक में 26 अगस्त को पहला नेत्रदान हुआ था। यह नेत्रदान लालडांठ निवासी 81 वर्षीय तुलसी धानक ने किया था। स्वजनों ने उनकी आंखें दान करवा दी थीं।

उनकी आंख को रविवार को लालकुआं निवासी 81 वर्षीय एक महिला को ट्रांसप्लांट किया गया। जिनकी दोनों पुतलियां खराब हो चुकी थी। एक अन्य नेत्रहीन रोगी का भी जल्दी ही कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाएगा। डा. तितियाल ने बताया कि हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक नेत्रहीनों का कानिया ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इसके लिए लोगों को नेत्रदान के लिए आगे आना होगा।

सभी लोगों को अपने स्वजनों को प्रेरित करना होगा। राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। कार्निया प्रत्यारोपण करने वाली टीम में डा. नितिन मेहरोत्रा, डा. अजय व टैक्निशियन हरगोविन्द मेहरा आदि शामिल थे।

हर साल होती है करीब ढाई लाख कार्निया की जरूरत

हमारी आंखों का जो ऊपरी हिस्सा होता है उसे कार्निया कहते हैं। उसके खराब होने से दिखना बंद हो जाता है। इस समस्या को कार्नियल ब्लाइंडनेस कहते हैं। हमारे देश में हर वर्ष कम से कम ढ़ाई लाख कार्निया अर्थात आंखों की जरूरत रहती है, लेकिन इसके सापेक्ष 50 हजार ही आंखें मिल पाती हैं।

एक हजार में तीन लोग दान करते हैं आंखें

हर वर्ष करीब 50 हजार आंखों के मिलने का मतलब 25 हजार लोग ही नेत्रदान कर पाते हैं। भारत में हर एक हजार लोगों में से तीन लोग ही आंखे दान करते हैं। मृत्योपरांत जब एक व्यक्ति की दोनों आंखे दान की जाती है तो वह दो लोगों में ट्रांसप्लांट होती है अर्थात एक व्यक्ति दो दृष्टिहीनों को रोशनी दे सकता है।


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