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निलंबित आइएएस डॉ. पंकज पांडे की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज

जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने निलंबित आईएएस व उधम सिंह नगर जिले के पूर्व जिलाधिकारी डॉ. पंकज कुमार पांडेय की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 05 Jan 2019 08:22 PM (IST)
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निलंबित आइएएस डॉ. पंकज पांडे की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज
नैनीताल, जेएनएन : बाजपुर-सितारगंज हाईवे (एनएच-74) घोटाला मामले में निलंबित ऊधमसिंह नगर के पूर्व जिलाधिकारी एवं आइएएस डॉ. पंकज पांडे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टïाचार निवारण नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। हाई कोर्ट की ओर से धारा 438 के तहत अंतरिम जमानत का अधिकार निचली अदालत को देने के बाद डॉ. पांडे अर्जी दाखिल करने वाले पहले वादकारी थे। कोर्ट के फैसले के बाद डॉ. पांडे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
करीब पांच सौ करोड़ के एनएच मुआवजा घोटाला मामले में शासन ने ऊधमसिंह नगर के पूर्व डीएम रहे डॉ. पंकज पांडे व चंद्रेश यादव को निलंबित कर दिया था। यादव को हाल ही में बहाल कर दिया गया था। अभियोजन पक्ष के डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा के अनुसार, बतौर ऑर्बिट्रेटर, डीएम, जिला मजिस्ट्रेट व जिलाधिकारी आदि पदों पर रहते हुए डॉ. पंकज पांडे ने एनएच-74 मुआवजा निर्धारण में बतौर आर्बिट्रेटर सरकारी जमीन पर काबिज अवैध कब्जेदारों के पक्ष में निर्णय दिए थे। ग्राम बरा ऊधमसिंह नगर में प्राथमिक स्कूल की भूमि पर अवैध रूप से काबिज सुरेश गंगवार व बरा में ही सरकारी पंचायत घर पर अवैध रूप से काबिज जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद गंगवार के पक्ष में आदेश पारित किए। बरा में कुल 12 अवैध कब्जेदारों के पक्ष में निर्णय पारित किए। इसके अलावा चार वादों में नियत तिथि से पहले ही निर्णय दे दिया।
आर्बिट्रेटर के आदेशों के आधार पर तत्कालीन एसएलओ व घोटाले में आरोपित अनिल शुक्ला ने अकृषि दर से आठ करोड़ 30 लाख 68 हजार 877 रुपये मुआवजा निर्धारित किया, जिससे सरकार को भारी वित्तीय हानि हुई। बचाव पक्ष ने आरोपों को गलत करार दिया था। पिछले दिनों एंटी करप्शन के विशेष न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की कोर्ट ने मामले में बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। शनिवार को शाम करीब चार बजे उन्होंने फैसला सुनाया। इधर डॉ. पांडे के अधिवक्ताओं के अनुसार, अब आदेश की प्रति मिलने के बाद फिर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।

34 पेज के आदेश में गंभीर टिप्पणी
एंटी करप्शन कोर्ट के 34 पेज के फैसले में डॉ. पांडे की भूमिका पर गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। कोर्ट ने दस्तावेजों के अवलोकन के बाद पाया है कि डॉ. पांडे ने आइएएस होने के चलते आर्बिट्रेशन से संबंधित फैसले ही बदल दिए। जिस तिथि को केस लगे ही नहीं थे, उस तिथि को निर्णय पारित कर दिए। तारीख भी बदल दी गई। कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखंड आर्थिक तौर पर कमजोर राज्य है और तरक्की के रास्ते पर है। आइएएस पर जिम्मेदारी का बोझ होता है, मगर यदि आइएएस अधिकारों का दुरुपयोग करते रहें तो इसका समाज में गलत संदेश जाता है।

दो दर्जन अफसर, कर्मचारी, किसान-बिल्डर कानूनी शिकंजे में
2014 में तत्कालीन मंडलायुक्त डी. सैंथिल पांडियन की जांच के उपरांत 10 मार्च 2014 को ऊधमसिंहनगर के एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रताप शाह ने सिडकुल पंतनगर थाना में तहरीर दी, जिसमें बताया गया कि एनएच-74 जसपुर से सितारगंज तक चौड़ीकरण में अधिगृहीत की जाने वाली भूमि में कृषि भूमि में अधिकांश को अकृषक दर्शाकर आठ से दस गुना अधिक प्रतिकर निर्धारित किया गया। नजीबाबाद एनएचआइ प्रभार खंड ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ऊधमसिंह नगर के खाते में 363 करोड़ की धनराशि जमा की, जिसमें से 207 करोड़ की धनराशि वितरित की गई। इसी प्रकार एनएचआइ रुद्रपुर ने 210 करोड़ की राशि जमा की। बैक डेट में 143 कर कूटरचित दस्तावेज बनाए गए। एसआइटी की ओर से मुकदमा दर्ज होने के बाद एक एडीएम समेत कई एसडीएम, पेशकार, तहसीलदार, चकबंदी अधिकारी-सहायक चकबंदी अधिकारी, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी, किसान, डाटा एंट्री ऑपरेटर, बिल्डर, बिचौलियों को गिरफ्तार किया गया।

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