विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बैजनाथ में अरबों खर्च कर बनाई गई कृत्रिम झील पर संकट
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बैजनाथ में चार साल बाद भी कृत्रिम झील उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।न नौकायन को पंख लग पाए और न ही मत्स्य पालन हुआ।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 16 Oct 2019 10:07 AM (IST)
गरुड़, चंद्रशेखर बड़सीला : विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बैजनाथ में चार साल बाद भी कृत्रिम झील उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। नौकायन शुरू हो सका और न ही मत्स्य पालन हुआ। पर्यटन भी कुछ खास नहीं बढ़ पाया। वर्तमान में तो बैजनाथ में झील जैसा कुछ भी नहीं है। इससे यहां पहुंच रहे पर्यटक मायूस हैं। स्थानीय लोग भी नौकायन का लुत्फ नहीं उठा पा रहे हैं।
बैजनाथ में कत्यूरी शासनकाल में बना शिव-पार्वती का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। मई-जून की तपती गर्मी से निजात पाने के लिए यहां मैदानी भागों से काफी संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक तो आते ही हैं, अक्टूबर से दिसंबर तक यहां बंगाली व गुजराती पर्यटकों का तांता लगा रहता है। आजकल यहां बंगाली व गुजराती पर्यटकों की आमद काफी बढ़ गई है। लेकिन यहां झील में पानी नहीं है। विभाग ने झील के सब गेट खोले हुए हैं। झील ने नदी व सूखे गधेरे का रूप लिया है।पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शासन ने 2009 में यहां झील निर्माण की स्वीकृति प्रदान की। बैजनाथ में 1523.80 लाख की लागत से बनी कुमाऊं की पहली कृत्रिम झील साल 2015 के नवंबर माह में अस्तित्व में आई थी। तब पर्यटकों समेत स्थानीय लोगों को लगा कि अब वे यहां नौकायन का आनंद उठा पाएंगे। सिंचाई विभाग ने भी तब नौकायन, मत्स्य पालन, सिंचाई में वृद्धि के काफी दावे किए थे। हालांकि तब एक सप्ताह तक सिंचाई विभाग ने यहां नौकायन की व्यवस्था की थी। नाव चलते देख स्थानीय लोग खुशी से झूम उठे थे। तब पर्यटक भी काफी संख्या में इस क्षण के गवाह बने।
नौकायन आय का बेहतरीन जरियाबैजनाथ स्थित झील में नौकायन आय का बेहतरीन जरिया हो सकता है। इससे जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं सिंचाई विभाग की आमद भी बढ़ेगी। साथ ही नौकायन की व्यवस्था होने से स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।
मुंह चिढ़ा रहा सिंचाई विभाग का बोर्डझील के उपयोग के नाम पर सिंचाई विभाग द्वारा लगाया गया बोर्ड स्थानीय लोगों, पर्यटकों व स्वयं विभाग को मुंह चिढ़ा रहा है। विभाग ने पर्यटन, नौकायन, मत्स्य पालन, सिंचाई वृद्धि का बोर्ड जरूर लगाया है। लेकिन फायदा एक में भी नहीं हुआ। जिससे लोग झील के नाम पर अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।
नौकायन को भेजा गया है प्रस्तावहरीश चंद्र सती, एसडीओ, सिंचाई विभाग, बैजनाथ ने बताया कि बैजनाथ स्थित झील में बरसात में गाद भर गई थी। गोमती नदी के उफान पर आने से झील को खतरा भी था इसलिए झील के गेट खोल दिए थे। नौकायन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से मंजूरी मिलते ही टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे और तत्काल नौकायन की व्यवस्था कर दी जाएगी।
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