नैनीताल में दान की रकम से स्थापित हुआ सीआरएसटी कॉलेज, जानिए इसका इतिहास
अमेरिकी मेथोडिस्ट चर्च मिशनरी 1856 में भारत आए और बरेली में रहने लगे। 1857 में जब स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ तो सुरक्षा की दृष्टि से नैनीताल भेज दिए गए। नैनीताल के ऐतिहासिक सीआरएसटी स्कूल की नींव 20 अगस्त को 1858 को पड़ी।
नैनीताल, किशोर जोशी : अमेरिकी मेथोडिस्ट चर्च मिशनरी 1856 में भारत आए और बरेली में रहने लगे। 1857 में जब स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ तो सुरक्षा की दृष्टि से नैनीताल भेज दिए गए। नैनीताल के ऐतिहासिक सीआरएसटी स्कूल की नींव 20 अगस्त को 1858 को पड़ी। कुछ समय यह स्कूल मेथोडिस्ट चर्च में भी चला था। शुरुआत में स्कूल पारसन, श्रीमती पायर्स के संरक्षण में चला था। तब मिशनरी बटलर को उसी साल सितंबर में बता दिया गया कि विद्यालय भवन बन चुका है और इसे स्थानांतरित कर दिया जाए। शुरुआत में इसे मिशन हाईस्कूल नाम से भी जाना जाता था।
मल्लीताल में स्थापित सीआरएसटी इंटर कॉलेज का सुनहरा अतीत रहा है। बताते हैं कि 1859 में जेम्स थोबर्न व जहूर उल हक नैनीताल आए और स्कूल को आगे बढ़ने में रुचि दिखाई। जहूर छात्रों को रोजाना दो घंटे अंग्रेजी पढ़ाते थे। बरेली से आए शिक्षाविद 1859 से 1899 तक विद्यालय से जुड़े रहे। उन्हीं के कार्यकाल में 1888 में विद्यालय को हाईस्कूल की मान्यता मिली। उन्होंने अपने जीवन की सम्पूर्ण जमा पूंजी 25 हजार विद्यालय संचालन को दान कर दी। मिशन स्कूल इसी वजह से हम्फ्री स्कूल के नाम से जाना जाने लगा।
विद्यालय के प्रवक्ता कमलेश पांडेय के अनुसार मिशनरी ने कुमाऊं में शिक्षा के प्रसार के लिए अल्मोड़ा को केंद्र बनाया तो 1925 के जून माह में हम्फ्री स्कूल छोड़ दिया और 75 हजार में कॉलेज सरकार को बेच दिया। 1925 से 1928 तक सरकार द्वारा असिस्टेंट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल कुमाऊं डिवीजन को विद्यालय प्रबंधक नियुक्त किया। मिशनरी के बाद सरकार द्वारा भी विद्यालय संचालन में असमर्थता जताने पर लाला चेतराम साह ठुलघरिया द्वारा 50 हजार दान प्रदान कर इस ऐतिहासिक संस्था को बचाया। साह ने यह फैसला प्रसिद्ध वकील, इनके मित्र मथुरा दत्त पांडेय की सलाह पर लिया।
पांडे के अनुसार 1928 से 1948 तक पांडेय प्रबंधक रहे। अत्यंत सख्त व अनुशासन प्रिय पीडी सनवाल ने हम्फ्री के दौर से ही विद्यालय में सेवा शुरू की व 1923 में पहले प्रधानाचार्य बने। 1954 में रिटायर हुए। भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत 1936 तक विद्यालय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य रहे । 1937 में संयुक्त प्रान्त के प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद भी विद्यालय को सहयोग प्रदान करते रहे। दिग्गज नेता एनडी तिवारी के साथ ही अनेक हस्तियों ने इसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। वर्तमान में पद्मश्री अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर अनूप साह विद्यालय प्रबंधक हैं। अब बड़ी चिंता यह है कि ऐतिहासिक विद्यालय में साल दर साल छात्र संख्या घट रही है।