Nainital में पेड़ों को काटकर पर्यावरण को पहुंचाया जा रहा नुकसान, सच जान NGT हैरान
Trees Cutting in Nainital नैनीताल में पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नैनीताल में पांच साल में पातन समिति ने करीब 300 पेड़ों के पातन की अनुमति दी लेकिन करीब 100 पेड़ों को अवैध तरीके से काट दिया गया। वन क्षेत्रों में ढलानों पर वन अधिनियम व वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को दरकिनार कर होटल-रिसार्ट रेस्ट हाउस लाज व होम स्टे का निर्माण हो रहा है।
किशोर जोशी, जागरण
नैनीताल। Trees Cutting in Nainital: पर्यटन नगरी नैनीताल में
पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है तो साथ ही नैना देवी बर्ड रिजर्व क्षेत्र के पंगोट व समीपवर्ती वन क्षेत्रों में खड़ी ढलानों पर वन अधिनियम व वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को दरकिनार कर होटल-रिसार्ट, रेस्ट हाउस, लाज व होम स्टे का निर्माण हो रहा है।
मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के पास कोई रिकार्ड नहीं
बर्ड रिजर्व क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को लेकर दी गई अनुमति का मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के पास कोई रिकार्ड नहीं है।
नैनीताल शहर में पिछले पांच साल में पातन समिति ने करीब 300 पेड़ों के पातन की अनुमति दी, लेकिन करीब 100 पेड़ों को अवैध तरीके से काट दिया गया। जिसका वन विभाग ने संबंधितों से करीब पांच लाख जुर्माना वसूला, लेकिन वन अपराध में एक भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं की।
एनजीटी ने नैनी झील के आसपास के क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर दायर मामले में सुनवाई के बाद विस्तृत आदेश पारित किया है। एनजीटी ने 16 अगस्त को प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं वन और अन्य अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
पेड़ों की कटाई पर जताया आश्चर्य
वेबसाइट में अपलोड आदेश के अनुसार एनजीटी ने कहा कि यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि वन एवं हरित क्षेत्र के महत्वपूर्ण विस्तार क्षेत्र उत्तराखंड में
पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ी ऐसी गतिविधियां हो रही हैं, खासकर ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व के स्थान नैनीताल शहर में। नैनी झील के आसपास बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई का मामला अप्रैल 2022 में मल्लीताल निवासी विवेक वर्मा की ओर से शिकायती पत्र के बाद सामने आया था।
एनजीटी ने कहा कि कई आदेश पारित करने के बावजूद अधिकारियों से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला, जिसमें अवैध तरीके से क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर कड़ी कार्रवाई की गई है।
पीसीबी भी बुरी तरह विफल रहा
एनजीटी ने कहा कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी पेड़ों की अवैध कटाई के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए कोई भी कार्रवाई करने में बुरी तरह विफल रहा है।
इस मामले में नैनीताल डीएफओ चंद्रशेखर जोशी की ओर से दाखिल जवाब में ऐसे उदाहरण दिए हैं, जहां कुछ व्यक्तियों से पेड़ों की अवैध कटाई के लिए मामूली रकम वसूली गई है, लेकिन कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि वन विभाग को पिछले साल अगस्त में पेड़ों की कीमत के हिसाब से नहीं, बल्कि दंडात्मक मापदंडों के हिसाब से वसूली के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था, ताकि कोई भी पेड़ों को काटने की हिम्मत न कर सके और नियमों के अनुसार मुकदमा चलाया जा सके।
98 पेड़ों को गिराने के लिए 4.94 लाख रुपये अर्थदंड वसूला
डीएफओ ने नैनीताल शहर में 98 पेड़ों को गिराने के लिए आरोपितों से 4.94 लाख रुपये का अर्थदंड वसूलने की जानकारी दी। एनजीटी ने इस मामले में अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ को न्यायमित्र नियुक्त किया है।
उन्होंने एनजीटी को बताया कि वर्ष 2017 से 2022 तक पांच वर्षों के दौरान पेड़ काटने वाली समिति ने 365 पेड़ों को काटने की अनुमति दी। पेड़ काटने व पातन की अनुमति देने वाली पातन समिति में विशेषज्ञ और स्वतंत्र, तटस्थ विचार के लोग नहीं बल्कि राजनीतिक पैनल अधिक है। अधिकांश सदस्य पार्षद और होटल व्यवसायी हैं।