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उत्तराखंड व उप्र के लिए बहुपयोगी जमरानी बांध योजना 44 साल बाद भी नहीं उतरी धरातल पर

निकाय व विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में कई नेताओं की वैतरणी पार लगा चुका जमरानी बांध अब भी सिर्फ मुद्दा ही है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 01 Apr 2019 10:12 AM (IST)
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उत्तराखंड व उप्र के लिए बहुपयोगी जमरानी बांध योजना 44 साल बाद भी नहीं उतरी धरातल पर
हल्द्वानी, संदीप मेवाड़ी : निकाय व विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में कई नेताओं की वैतरणी पार लगा चुका जमरानी बांध अब भी सिर्फ मुद्दा ही है। नींव पडऩे के बाद से अब तक जमरानी बांध परियोजना खेतों से ज्यादा राजनीति को ही अधिक सींचती रही है। पिछले साल हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस परियोजना की डीपीआर पर गंभीरता दिखाई और केंद्रीय जल आयोग की स्वीकृति मिली। उत्तराखंड ही नहीं उप्र के लिए बहुपयोगी 2584 करोड़ रुपये की इस परियोजना को अब भी केंद्रीय वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने व बजट आवंटन का इंतजार है।

1975 में पहली बार 61.75 करोड़ की बनी थी डीपीआर
वर्ष 1975 में जमरानी बांध के निर्माण के लिए केंद्रीय योजना आयोग ने 61.75 करोड़ रुपये की डीपीआर मंजूरी की थी। 1982 में परियोजना के तहत काठगोदाम बैराज, नहरें व जमरानी कॉलोनी बनाई गई। 1989 में जमरानी बांध की डीपीआर दोबारा बनाई गई। 144.84 करोड़ रुपये की डीपीआर को केंद्रीय जल आयोग की टीएसी ने भी तकनीकि मंजूरी दे दी थी। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने बजट नहीं दिया।

खंडहर बन गई जमरानी कॉलोनी
बजट के अभाव में जमरानी कॉलोनी के अधिकांश भवन खंडहर बन चुके हैं। कुछ मकान जो रहने लायक हैं, उनका भी अफसरों व कर्मचारियों ने अपने वेतन से रखरखाव किया है।

जमरानी बांध पर पांच साल में ऐसे खर्च होना है बजट
पहला चरण      384.14 करोड़
दूसरा चरण      515.83 करोड़
तीसरा चरण     649.52 करोड़
चौथा चरण       649.52 करोड़
पांचवां चरण     385.09 करोड़

44 साल में 42 गुना बढ़ा जमरानी बांध का बजट

भाबर की पेयजल व सिंचाई की समस्या को देखते हुए पांच दशक पहले ही गौला नदी में बांध बनाने की जरूरत महसूस होने लगी थी। वर्ष 1975 में परियोजना के लिए गौला बैराज व नहरों का निर्माण शुरू हुआ। उस समय इसमें 25.24 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए। वर्ष 1989 में 144.84 करोड़ की डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई। इसी बीच परियोजना की स्वीकृति में वन एवं पर्यावरण की कई आपत्तियां लगती रहीं। वर्ष 2015 में परियोजना की लागत 2350 करोड़ रुपये पहुंच गई थी, जो अब 2584 करोड़ रुपये पहुंच गई है।

जमरानी बांध बनने से विस्थापित होने वाले गांव

गांव              विस्थापित होने वाले परिवार

तिलवाड़ी        33
मुरकुदिया       56
गंदराद            8
पनियाबोर       8
उदवा              8
पस्तोला         16

44 साल में बदले 20 से अधिक मुख्य अभियंता
44 साल में बांध परियोजना को केंद्रीय जल आयोग की हरी झंडी मिली है, वहीं इस दौरान 20 से अधिक मुख्य अभियंताओं के साथ ही सैकड़ों जेई, एसई व कर्मचारियों के तबादले हुए या वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

जमरानी बांध से होने वाले फायदे

  • 624.48 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा बांध
  • बांध में 10 किलोमीटर झील का निर्माण
  • बांध की चौड़ाई - 1 किमी
  • 4.5 वर्ग किमी होगा जमरानी बांध का डूब क्षेत्र
  • 130.6 मीटर होगी ऊंचाई
  • 43 फीसदी पानी सिंचाई के लिए उत्तराखंड को मिलेगा
  • 57 फीसदी पानी यूपी को सिंचाई के लिए मिलेगा
  • 208.60 मिलियन क्यूबिक मीटर जल संग्रहण की क्षमता
  • छह गांव प्रभावित, 120 परिवारों का होगा विस्थापन
  • बांध से मिलने वाला पेयजल - 117 एमएलडी
  • बांध क्षेत्र से बिजली उत्पादन लक्ष्य - 14 मेगावाट
  • बांध के जलाशय से सिंचित होने वाली भूमि - 57065 हेक्टेयर
  • जमरानी बांध बनाने के लिए शिफ्ट करना पड़ेगा हैड़ाखान मंदिर
  • वन विभाग के 22500 पेड़ों की काटना पड़ेगा
(मत्स्य पालन, नौकायन, पर्यटन गतिविधियों का विस्तार भी शामिल)

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