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फ्रांस में फिर चलेगी धरती की महा मशीन, गॉड पार्टिकल के बाद डार्क मैटर का सुलझेगा रहस्य

ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर हुई सबसे बड़ी खोज हिग्स बोसोन यानी गॉर्ड पार्टिकल की पुष्टि के बाद दुनिया की सबसे बड़ी महामशीन एक और बड़ी अदृश्य शक्ति का पता लगाने जा रही है। इस अदृश्य शक्ति का नाम डार्क मैटर है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 08:38 AM (IST)
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जिनेवा में स्थित लार्ज हाईड्रोन कोलाइडर में हिग्स बोसोन के बाद डार्क मैटर का सुलझेगा रहस्य

जागरण संवाददाता, नैनीताल : ब्रह्मांड की उत्पत्ति को लेकर हुई सबसे बड़ी खोज हिग्स बोसोन यानी गॉर्ड पार्टिकल की पुष्टि के बाद दुनिया की सबसे बड़ी महामशीन एक और बड़ी अदृश्य शक्ति का पता लगाने जा रही है। इस अदृश्य शक्ति का नाम डार्क मैटर है। विज्ञानियों का मानना है कि इस खोज से ब्रह्मांड की अब तक न सुलझ सकी गुत्थियों का पता चल जाएगा।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पाण्डेय ने बताया कि जिनेवा में स्थित लार्ज हाइड्रोन कोलाइडर एलएचसी प्रयोगशाला का निर्माण ब्रह्मांड के बड़े रहस्यों का पता लगाना है। जिसमें अब डार्क मैटर का रहस्य को जान पाने की उम्मीद जगा दी है। यह अदृश्य द्रव्य डार्क मैटर है, जो ब्रह्मांड के द्रव्य का लगभग 27 फीसद है। बाकी 73 फीसद डार्क ऊर्जा जाना जाता है।

डार्क मैटर के रूप में मौजूद, जो दिखाई नहीं देता यानी अदृश्य है। माना जाता है कि इसी अदृश्य द्रव्य की वजह से ब्रह्मांड का निरंतर विकास हो रहा है और आकार का भी विस्तार हो रहा है। जिसके तहत नई आकाश गंगाएं बन रही हैं और उनमें तारों, नक्षत्रों, ग्रहों इत्यादि का विकास हो रहा है। अंतरिक्ष के इस निरंतर विकास को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि जैसे किसी गुब्बारे में निरंतर डाली जा रही हवा के चलते गुब्बारा निरंतर फैलता जाता है। कुछ इसी तरह से अंतरिक्ष का विकास भी हो रहा है, जो संभवतः डार्क मैटर के कारण हो रहा है।

ब्रह्मांड में आने वाला कोई भी प्रकाश अभी तक विद्युत चुम्बकीय रूप में ही देखा गया है। जिसकी कुल मात्रा ब्रह्मांड के द्रव्यमान का लगभग चार फीसद ही है। महामशीन से डार्क मैटर की जानकारी जुटा पाने को लेकर की जा रही कवायद से खगोल विज्ञान जगत के विज्ञानियों में उत्साह है।

जमीन के भीतर दस किमी लंबी है महामशीन

बिग बैंग सिद्धांत बताता है कि विस्फोट के एक समय उर्जा का रूपांतरण द्रव्य के रूप में हुआ। ऐसा माना जाता है कि यह द्रव्य हिग्स बोसोन एटम नामक कण के रूप में सामने आया। जिसका पता लगाने के लिए स्विट्जर लैंड व फ्रांस के बीच लार्ज हाईड्रोन कोलाइडर प्रयोगशाला का निर्माण किया गया।

जमीन के भीतर दस किमी लंबी इस महामशीन में उस कण का पता लगाने के लिए दुनियाभर के दस हजार से अधिक विज्ञानी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुटे और अथक मेहनत के बाद 2012 में उस परमाणु का पता लगा लिया गया और उसका नाम दिया गया गॉर्ड पार्टिकल यानी ईश्वरीय कण।

वर्तमान में हिग्स बोसोन को गॉर्ड पार्टिकल के नाम से सभी परिचित हैं। महामशीन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता तो चल गया, मगर इसके निरंतर विकास की गुत्थी अभी तक अनसुलझी है। जिसका पता लगाने में दुनिया की महामशीन ने कार्य शुरू कर दिया है।

क्या होता है गाड पार्टिकल

हिग्स बोसोन से कणों को भार मिलता है। अगर कणों में भार नहीं होता तो फिर ब्रम्हांड नहीं बन सकते थे। भार या द्रव्यमान वो चीज है जो कोई चीज़ अपने अंदर रख सकता है। अगर कुछ नहीं होगा तो फिर किसी चीज़ के परमाणु उसके भीतर घूमते रहेंगे और जुड़ेंगे ही नहीं। इस सिद्धांत के अनुसार हर खाली जगह में एक फील्ड बना हुआ है जिसे हिग्स फील्ड का नाम दिया गया इस फील्ड में कण होते हैं जिन्हें हिग्स बोसोनकहा गया है। जब कणों में भार आता है तो वो एक दूसरे से मिलते हैं।

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