Move to Jagran APP

एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का फैसला सही: हार्इ कोर्ट

हार्इकोर्ट ने राज्य सरकार के एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के फैसले को सही ठहराया है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 15 Apr 2018 04:55 PM (IST)
Hero Image
एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का फैसला सही: हार्इ कोर्ट

नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में आइसीएसई बोर्ड के विद्यालयों को छोड़कर अन्य सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने से संबंधित सरकार के आदेश को सही ठहराया है। कोर्ट ने सरकार को अंतरिम राहत प्रदान करने के साथ ही छह और नौ मार्च को जारी शासनादेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। 

इन शासनादेशों में निजी व सरकारी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें लागू करने पर कठोर कार्रवाई तथा बुक सेलरों की दुकान में छापेमारी का उल्लेख था। कोर्ट ने निजी प्रकाशकों से साफ कहा है कि यदि वह अपनी किताबें लागू करवाना चाहते हैं तो उन्हें किताबों की सूची व रेट लिस्ट राज्य सरकार तथा एनसीईआरटी को देनी होगी। राज्य सरकार ने पिछले साल 23 अगस्त को शासनादेश जारी कर राज्य में आइसीएसई बोर्ड को छोड़कर राजकीय, सहायता प्राप्त, मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों तथा अंग्रेजी माध्यम संचालित में एनसीईआरटी की ही किताबें लागू करने का शासनादेश जारी किया था। सरकार ने इस जीओ की मुख्य वजह यह बताई थी कि निजी विद्यालयों में निजी प्रकाशकों की ही किताबें महंगे दाम पर बेची जाती हैं। इससे अभिभावकों पर अत्यधिक वित्तीय भार पड़ता है। शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकने के लिए यदि किसी स्कूल व दुकान में निजी प्रकाशक की किताब बेची या लागू की जाती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने शुक्रवार को मामले को सुनने के बाद अंतरिम आदेश पारित करते हुए सरकार को बड़ी राहत प्रदान की। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी विषय के लिए निजी प्रकाशक की किताब की नितांत आवश्यकता है तो उसका मूल्य एनसीईआरटी प्रकाशित पुस्तक के मूल्य के आसपास होना चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई तीन मई नियत की गई है।

यह भी पढ़ें: गंगा के प्रदूषित होने के मामले में जवाब तलब

यह भी पढ़ें: सिंचार्इ विभाग के 52 पदों की नियुक्ति पर फिलहाल रोक

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।