धूल भरी आंधी बन रही हिमालय के लिए बड़ा खतरा, जानिए वजह
धूल भरी आंधी अब ग्लेशियरों के लिए भी खतरा बन रही है। हिमालय के ग्लेशियर धूल भरी आंधी के कारण और तेजी से पिघल रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 21 Jun 2018 05:10 PM (IST)
नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: राजस्थान व पाकिस्तान के रेगिस्तान से आई धूलभरी आंधी अब ग्लेशियरों पर भारी पड़ेगी। धूल के भारी कणों के साथ कार्बनिक कणों के मिल जाने से पहले से पिघल रहे ग्लेशियर और तेजी से पिघलने लगेंगे। इस बीच ब्लैक कार्बन की मात्रा सामान्य से ढाई गुना बढ़कर 2490 नैनोग्राम जा पहुंची है, जबकि पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 10 व पीएम 2.5 की मात्रा वातावरण को चार गुना अधिक प्रदूषित कर चुका है।
तेजी से फैलता धूल का गुबार हिमालय के ग्लेशियरों के लिए बड़ा खतरा है। तापमान बढ़ने से ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने का सिलसिला पहले से ही जारी है। अब रेगिस्तानों से आ रहे धूल के कणों के साथ कार्बन के कण भी शामिल हो जाएंगे। इनके मिल जाने से तापमान में अधिक बढ़ोतरी होगी। यह ग्लेशियर की बर्फ को पिघलाने में आग में घी काम करेगी।
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार हिमालय रेंज में ब्लैक कार्बन की मात्रा में काफी वृद्घि हो चली है। शुक्रवार को इसकी मात्रा 2490 नैनोग्राम दर्ज की गई। सामान्य रूप यह मात्रा लगभग एक हजार नैनोग्राम होनी चाहिए। धूल के गुबार चार गुना अधिक पहुंचने से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रही है। वहीं यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरा बना हुआ है।
भारी बारिश भी नही छंट पाई धूल को नैनीताल
बीती रात व सुबह को हुई भारी बारिश से भी धुंध छंट नहीं पाई है। शुक्रवार को पूरे दिन गहरी धुंध आसमान में छाई रही। भारी बारिश की वजह से धूल के कण जमीन में गिरे तो नालों के पानी ने झील को मटमैला कर दिया। बारिश के बाद तापमान में कमी आ जानी चाहिए थी, लेकिन तापमान पूरे ऊंचाई पर स्थिर बना रहा। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार पिछले 24 घंटे में 16 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। तापमान अधिकतम 25 व न्यूनतम 17 डिग्री सेल्सियस रहा। वायु प्रदूषण के कण हैं पीएम 10 व पीएम 2.5
नैनीताल: पीएम 10 का अर्थ उन कणों से है, जो वातावरण में 10 माइक्रोमीटर या उससे छोटे आकार के कण होते हैं। पीएम 2.5 में 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे कण होते हैं। इन दिनों रेगिस्तान से आई धूल में पीएम 10 की मात्रा अधिक है। यह भी बता दें कि पीएम 10 की मात्रा 100 होगी तो वह सामान्य मानी जाती है, जबकि पीएम 2.5 की मात्रा सामान्यत: 60 होनी चाहिए। इससे अधिक होने पर वह पर्यावरण व स्वास्थ के लिए हानिकारक होती है। हिमालय का पारा बढ़ाएगी रेगिस्तानी धूल नैनीताल
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिक डॉ. उमेश चंद्र दुम्का के अनुसार प्री मानसून के दिन होने के कारण हिमालय क्षेत्र में नमी अधिक बनी हुई है, जो धूल के वातावरण में ठहरने के लिहाज से अधिक हानिकारक है। अब धूल के कणों के साथ कार्बन के कण भी मिल जाएंगे, जो तापमान को बढ़ाएंगे। यह संवेदनशील ग्लेशियरों के लिए अधिक घातक होगा।यह भी पढ़ें: दून के लोग छह गुना अधिक प्रदूषण में सांस लेने को मजबूर
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