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Vasantik Navratri देवी के मंदिराें में पसरा रहा सन्‍नाटा, भक्‍तों ने घरों में किए धार्मिक अनुष्‍ठान

इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण मंदिरों के कपाट बंद हैं। जिन देवी स्‍थानों पर भोर से ही भीड लग जाती थाी वहां सन्‍नाटा पसरा हुआ है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 25 Mar 2020 11:44 AM (IST)
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Vasantik Navratri देवी के मंदिराें में पसरा रहा सन्‍नाटा, भक्‍तों ने घरों में किए धार्मिक अनुष्‍ठान

नैनीताल जेएनएन : चैत्र नवरात्र यानी वासंतिक नवरात्र की शुरुआत 25 मार्च आज यानी से हो चुकी है, जो दो अप्रैल तक रहेगी। चैत्र नवरात्रों के दौरान मां की पूजा के साथ-साथ अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा का विधान भी है जिससे ये नवरात्र विशेष हो जाते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण मंदिरों के कपाट बंद हैं। जिन देवी स्‍थानों पर भोर से ही भीड लग जाती थाी वहां सन्‍नाटा पसरा हुआ है। कोठगोदाम स्थित शीतला देवी मंदिर, रामनगर स्थिति गिरिजा देवी मंदिर और नैनीताल स्थिति नैना देवी और पूर्णागिरि धाम समेत अन्‍य मंदिरों में मुख्‍य पुजारियों ने देवी की पूजा-अर्चना की। वहीं श्रद्धालुओं ने घरों में ही विधि-विधान से धार्मिक अनुष्‍ठान कर व्रत शुरू किया। 

मां शैलपुत्री

अपने पहले स्वरूप में मां 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मां चंद्रघंटा

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र में तीसरे दिन इनकी पूजा होती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा। इस देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव दूर होते हैं।

मां कुष्मांडा

नवरात्र पूजन के चौथे दिन देवी के कुष्मांडा के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। मान्यता है कि उन्होंने अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था। इनकी आठ भुजाएं हैं। मां कूष्मांडा की पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।

मां स्कंदमाता

नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है। माना जाता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है। ये बुध ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करती हैं।

मां कात्यायनी

मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनकी उपासना से भक्तों को आसानी से धन, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति की इच्छा से मां भगवती की कठिन तपस्या की। तब देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. जिससे इनका यह नाम पड़ा।

मां कालरात्रि

दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। कालरात्रि की पूजा करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं और सभी असुरी शक्तियों का नाश होता है। देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है।

मां महागौरी

मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. इनकी आयु आठ साल की मानी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है. इस देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

मां सिद्धिदात्री

नवरात्र पूजन के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं।

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