धरती से कैद हुई शनिग्रह की चाल, बागेश्वर के दिग्विजय सिंह का कमाल, कैमरे से शूट किया वीडियो
सौरमंडल के दूसरे सबसे बड़े और महत्वपूर्ण ग्रह शनि की मूवमेंट काे पृथ्वी से कैद किया गया है। बागेश्वर के जिले के खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले फोटोग्राफर दिग्विजय सिंह जनोटी।
गैलीलियो सबसे पहले ढूढा था शनि ग्रह
शनि सौरमंडल में सूर्य से छठें स्थान पर स्थित बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह है। इसका अपनी कक्षा में परिभ्रमण का पथ 14,29,40,000 किलोमीटर है । इसके 47 उपग्रह माने जाते हैं। जिनमें टाइटन सबसे बड़ा है। वैसे तो शनि ग्रह की खोज प्राचीन काल में ही हो गई थी, लेकिन मशहूर वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली ने सन् 1610 में दूरबीन की सहायता से इसे पहली बार देखा। इस ग्रह की रचना 75 फीसद हाइड्रोजन एवं 25 फीसद हीलियम गैसों से हुई है। शनि सौरमंडल के उन चार विशाल ग्रहों में से एक है, जिन्हें गैस दानव कहा जाता है। क्योंकि इन ग्रहों पर जल, मिथेन, अमोनिया या पत्थर बहुत कम मात्रा में या नहीं पाए जाते हैं। यह पृथ्वी से 763 गुना बड़ा एवं 95 गुना भारी ग्रह है। लेकिन गैसीय ग्रह होने के कारण इसका घनत्व पृथ्वी की तुलना में काफी कम है।
शनि ग्रह की जानिए अनोखी बातें
खगोल विज्ञान अनुसार शनि ग्रह आकार में बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। आकाश में यह पीले तारे के समान दिखाई देता है। इसका गुरुत्व पानी से भी कम है। शनि ग्रह के लगभग 82 उपग्रह हैं। अर्थात चंद्रमा की तरह उसके 82 चंद्रमा हैं। शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाईटन है। यह आकार में बुध ग्रह के बराबर है। इसके अलावा फोबे, यूरोपा आदि उपग्रह हैं। फोबो विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।
शनि ग्रह के चारों ओर जो वलय है वह दूर से नीला नजर आता है। वैज्ञानिक इस वलय को लेकर अभी भी अचंभित हैं कि आखिर ये वलय किस चीज के बने हैं। कहते हैं कि इसके चारों ओर छोटे छोटे कणों से मिलकर यह वलय बना होगा। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसके वायुमंडल में गैसीय संरचना है जिसमें हाईड्रोजन व हीलियम गैस पाई जाती है। शनि के चारों ओर 12 वलय हैं और दो रिक्त स्थान हैं।
खगोल विज्ञान के अनुसार शनि का व्यास पृथ्वी के व्यास से नौ गुना ज्यादा है जबकि घनत्व आठ गुना कम है। 120.536 किलोमीटर का इसका भूमध्य रेखीय व्यास है। अपनी धुरी पर घूमने में यह ग्रह 10 घंटे 34 मिनट लगाता है। कहते हैं कि शनि में लगभग 763 धरतियां समा सकती हैं। इसका एक वर्ष धरती के 29.45 साल बराबर का होता है।
10 किमी प्रति सेकंड की औसत गति से यह सूर्य से औसतन डेढ़ अरब किमी (142 करोड़, 66 लाख, 66 हजार 422 किलोमीटर) की दूरी पर रहकर यह ग्रह 29 वर्षों में सूर्य का चक्कर पूरा करता है। गुरुवा शक्ति पृथ्वी से 95 गुना अधिक और आकार में बृहस्पति के बाद इसी का नंबर आता है। शनि धरातल का तापमान 240 फॉरेनहाइट है या 139 डीग्री सेल्सीयस है।
जुलाई में होंगी ये खगोलीय घटनाएं
- 14 जुलाई को सौरमंडल के खूबसूरत ग्रहों के साथ तीन अपोजिशन की घटनाएं होने जा रही हैं। इसमें पृथ्वी और सूर्य के साथ कोई एक ग्रह एक सीध में आ जाता है। 14 जुलाई को होने जा रही इस घटना में सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह यानी बृहस्पति के साथ ही पृथ्वी और सूर्य एक सीध होंगे। पश्चिम में जब सूर्य अस्त हो रहा होगा, तो पूरब में बृहस्पति उदय हो रहा होगा और बीच में पृथ्वी होगी। बृहस्पति धरती के बेहद करीब होने के कारण काफी खूबसूरत नजर आएगा।
- 16 जुलाई को बौना ग्रह प्लूटो के साथ अपोजिशन की स्थिति बनने जा रही है। प्लूटो को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लेना पड़ेगा।
- 21 जुलाई को इस दिन सौरमंडल का दूसरा विशाल ग्रह शनि अपोजिशन में आएगा। यह रोमांचक घटना होगी। इस दिन शनि धरती के बहुत करीब होगा और पूरी रात देखा जा सकेगा। शनि के चमकदार छल्लों को देखने का यह शानदार मौका होगा। इसे दूरबीन से भी देखा जा सकेगा।
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