हल्द्वानी की बेटी दीक्षा ने पीएम मोदी से डिस्लेक्सिया पर की बात, बोले गुड वर्क
स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के जरिये नित नए आइडियाज पर काम कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को हल्द्वानी की बेटी दीक्षा हरयाल ने सात मिनट का संवाद किया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 04 Mar 2019 12:10 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन के जरिये नित नए आइडियाज पर काम कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को हल्द्वानी की बेटी दीक्षा हरयाल ने सात मिनट का संवाद किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग पर दीक्षा ने उनके समक्ष ऐसे बच्चों की बात रखी, जो डिस्लेक्सिया हैं। साथ ही यह भी बताया कि वे लोग सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं। मोदी ने जवाब में गुड...गुड वर्क बोला और रिसर्च जारी रखने को कहा।
हिमालय फार्म निवासी शहर के प्रमुख कारोबारी अनिल हरयाल की बेटी और कांग्र्रेस नेता टोनी हरयाल की भतीजी दीक्षा हरयाल आईआईटी खडग़पुर कोलकाता में स्टूडेंट हैं। दीक्षा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू आइडियाज के लिए स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन नाम से मंच प्रदान किया है। जिसमें पीएम मोदी सीधे संवाद करते हैं। शनिवार को हुई वीडिया कांफ्रेंसिंग के लिए छह-छह स्टूडेंट की दो टीमों का चयन किया गया था, जिसमें वह अकेली छात्रा थीं। मोदी के सामने उन्होंने डिस्लेक्सिक बच्चों पर तैयार हो रहे सॉफ्टवेयर पर चर्चा की। डिस्लेक्सिक वह बच्चे हैं, जो मानसिक रूप से बीमार होते हैं पर अधिकांश परिजन ऐसे बच्चों को समझ नहीं पाते और पढ़ाई में कमजोर समझ लेते हैं। तमाम बच्चों को कमजोर समझ उनके परिजन प्रताडि़त भी करते हैं। जबकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज असंभव है। ऐसे बच्चों को अक्षर छोटे-बड़े, धुंधले दिखते हैं। कुछ देर पढऩे पर उनको सिर में तरह-तरह से पीढ़ा होने लगती है। 2013 में हुए सर्वे के मुताबिक देश में ऐसे बच्चों की संख्या 35 मिलियन है। इन बच्चों को मुख्यधारा में ला सकें, इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है।
हिमालय फार्म निवासी शहर के प्रमुख कारोबारी अनिल हरयाल की बेटी और कांग्र्रेस नेता टोनी हरयाल की भतीजी दीक्षा हरयाल आईआईटी खडग़पुर कोलकाता में स्टूडेंट हैं। दीक्षा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू आइडियाज के लिए स्मार्ट इंडिया हैकेथॉन नाम से मंच प्रदान किया है। जिसमें पीएम मोदी सीधे संवाद करते हैं। शनिवार को हुई वीडिया कांफ्रेंसिंग के लिए छह-छह स्टूडेंट की दो टीमों का चयन किया गया था, जिसमें वह अकेली छात्रा थीं। मोदी के सामने उन्होंने डिस्लेक्सिक बच्चों पर तैयार हो रहे सॉफ्टवेयर पर चर्चा की। डिस्लेक्सिक वह बच्चे हैं, जो मानसिक रूप से बीमार होते हैं पर अधिकांश परिजन ऐसे बच्चों को समझ नहीं पाते और पढ़ाई में कमजोर समझ लेते हैं। तमाम बच्चों को कमजोर समझ उनके परिजन प्रताडि़त भी करते हैं। जबकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज असंभव है। ऐसे बच्चों को अक्षर छोटे-बड़े, धुंधले दिखते हैं। कुछ देर पढऩे पर उनको सिर में तरह-तरह से पीढ़ा होने लगती है। 2013 में हुए सर्वे के मुताबिक देश में ऐसे बच्चों की संख्या 35 मिलियन है। इन बच्चों को मुख्यधारा में ला सकें, इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है।
दीक्षा के सुझाव पर मोदी ने ली चुटकी...
दीक्षा हरयाल ने जब ऐसे बच्चों के बारे में तैयार हो रहे सॉफ्टवेयर पर मोदी से चर्चा की तो वह चुटकी लेना नहीं भूले। बोले, यह 40-50 साल तक के बच्चों के लिए भी है...। दीक्षा ने कहा, हां। तो कुछ देर रुककर फिर बोले, तब ऐसे बच्चों की मां बहुत खुश होंगी। मोदी का इशारा कांग्र्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर बताया जा रहा है।
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