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फूलों की खेती को बनाया रोजगार का जरिया, पलायन करने वालों के लिए दिनेश बने प्रेरणा

पहाड़ों में विविध रंग के फूल खिलते हैं। फूलों के चलते पहाड़ की अपनी अलग पहचान भी है। सीमांत में इसके बाद भी फूल आजीविका के माध्यम नहीं बन पा रहे थे।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 29 Nov 2019 09:59 AM (IST)
फूलों की खेती को बनाया रोजगार का जरिया, पलायन करने वालों के लिए दिनेश बने प्रेरणा
पिथौरागढ़, जेएनएन : पहाड़ों में विविध रंग के फूल खिलते हैं। फूलों के चलते पहाड़ की अपनी अलग पहचान भी है। सीमांत में इसके बाद भी फूल आजीविका के माध्यम नहीं बन पा रहे थे। शादी, ब्याह हो या कोई मांगलिक कार्य पहाड़ के लोग हल्द्वानी या फिर टनकपुर से फूल मंगाते थे। अब लोगों को जिले की रामगंगा घाटी में ही पुष्प मिलने लगे हैं। फूलों की खेती से अब स्वरोजगार के पुष्प खिलने लगे हैं।

इस मुहिम को मुनस्यारी के तल्ला जोहार के दूरस्थ और दुर्गम माने जाने वाले कोट्यूड़ा गांव के दिनेश बथ्याल ने शुरू किया है । कोट्यूड़ा गांव से जबरदस्त पलायन हुआ है। दिनेश भी रोजगार के लिए पहाड़ छोडऩे को तैयार हो गया था, लेकिन इसी बीच उसने गांव में ही रह कर कुछ करने की ठानी। अपने खेतों में नींबू, माल्टा के पेड़ लगाए। वर्तमान में उसके डेढ़ सौ पेड़ फलों से लदे हैं। बाजार में भी उसके फल बिकते हैं। दिनेश के इस प्रयास की जानकारी मीडिया से होते हुए प्रशासन, शासन तक पहुंची। इससे पहले उसने स्वरोजगार के लिए संबंधित विभागों से पॉलीहाउस की मांग की थी लेकिन उसकी मांग तब पूरी नहीं हुई थी।

अखबार में दिनेश के बारे में खबर छपते ही उद्यान विभाग के अधिकारी उसके पास पहुंचे तो उसने फूलों की खेती के लिए सलाह और मदद मांगी। विभाग ने एक पॉलीहाउस और कंपोस्ट गड्ढा बनाया। दिनेश ने एक साल पूर्व से फूलों की खेती शुरू कर दी। पहले ही सीजन में उसे फूलों से अच्छी आय हुई उसने आधे हेक्टेयर से बढ़ा कर एक हेक्टेयर में फूलों की खेती की। गेंदा जिसकी सबसे अधिक मांग रहती है वह दिनेश की बगिया में खूब खिला। इसे देखते हुए गांव में पलायन से बचे खुचे परिवारों ने भी फूलों की खेती प्रारंभ कर दी।

50 से 60 रुपये किलो बिक रहे ताजे फूल

तल्ला जोहार में फूल उपलब्ध होने की सूचना मिलते ही जिले के अन्य स्थानों से मांगलिक कार्यों के लिए फूल खरीदने दिनेश के पास पहुंचने लगे। हल्द्वानी से 80 से 100 प्रति किलो मिलने वाले फूल जिले में ही 50 से 60 रु पए किलो वह भी ताजे मिलने लगे। ब्याह , शादी के सीजन में दिनेश को जिले भर से फूलों की भारी डिमांड मिलने लगी है। जिसे देखते हुए गांव के आधा दर्जन से अधिक परिवारों ने भी फूलों की खेती प्रारंभ कर दी है। आज से दो तीन वर्ष पूर्व तक रोजगार की तलाश में गांव छोडऩे की तैयारी करने वाला दिनेश बथ्याल के जीवन में अब फूलों ने खुशी भर दी है।

रामगंगा और भुजगड़ घाटियों में होने लगी फूलों की खेती

दिनेश बथ्याल के फूलों की खेती की सफलता को देखते हुए जलागम योजना के तहत विभाग ने रामगंगा और भुजगड़ नदी घाटी के गांवों में फूलों की खेती के लिए अभियान चलाया है। इसके लिए किसानों को पॉलीहाउस और फूलों की प्रजाति के बीज और पौध उपलब्ध कराया है। जलागम द्वारा रसियाबगड़, बेलछा और गूटी गांवों में फूलों की नर्सरी तैयार कर दी है। कई दर्जन किसान खेती करने लगे हैं। इसके अलावा थल के आसपास के गांवों में भी फूलों की खेती होने लगी है। जानकार मानते हैं कि फूलों की खेती पहाड़ से हो रहे पलायन पर रोक लगाएगा। इस कार्य के लिए युवा आगे आ रहे हैं।

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