दुनिया की Natural Lab में होगी जोड़ीदार ब्लैक होल की खोज, एरीज का रोल रहेगा खास
वैज्ञानिकों ने एक जोड़ीदार ब्लैक होल खोजा है, जिसे प्राकृतिक प्रयोगशाला माना जा रहा है। एरीज संस्थान की इसमें अहम भूमिका होगी। एरीज के वैज्ञानिक डेटा का विश्लेषण कर ब्लैक होल के व्यवहार को समझने में मदद करेंगे, जिससे ब्लैक होल के बारे में हमारी समझ और बढ़ेगी। यह खोज ब्लैक होल के रहस्यों को उजागर करने में मददगार होगी।

एरीज की 3.6 मीटर टेलीस्कोप व विज्ञानियों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रही इस खोज में. Concept Photo
रमेश चंद्रा, नैनीताल। पहली बार जोड़ीदार ब्लैक होल ओजे 287 की हालिया खोज में एरीज के विज्ञानियों की अहम भागीदारी और 3.6 मीटर दूरबीन की बड़ी भूमिका रही। यह खोज विज्ञानियों के लिए प्राकृतिक प्रयोगशाला के रूप के कार्य करेगी। जिससे अदृश्य ब्लैक होल्स के अनेकों रहस्य उजागर हो सकेंगे। इस सुपर मैसीव ब्लैक होल पर अगला प्रेक्षण 2027 से शुरू होगा।
ब्लैक होल ओजे 287 की वास्तविकता को जानने में जुटे एरीज के विज्ञानी डा आलोक गुप्ता ने बताया कि यह खोज विज्ञानियों के लिए प्राकृतिक प्रयोगशाला है, जो भविष्य में ब्लैक होल की असीम शक्तियों को समझने में बेहद मददगार साबित होगी। दरअसल ब्लैक होल्स को ब्रह्मांड की सुपर पावर माना जाता है। इनके पथ पर आने वाली कोई भी वस्तु बच नहीं सकती। इनकी असल ताकत गुरुत्वाकर्षण है, जिसकी बारीकियों को समझना बेहद जरूरी है।
डा आलोक गुप्ता इस ब्लैक होल पर पिछले 10 वर्षों से एरीज की टीम के साथ अध्ययन में जुटे हुए हैं। इस खोज में शुरुआत से अभी तक 20 रिसर्च पेपर लिखे जा चुके हैं। उनकी टीम में एरीज के ही डा शुभम कुमार शामिल हैं। इस जोड़ीदार ब्लैक होल का चक्र 12 वर्षीय है। इससे पहले 2015 में शुरू हुआ था और अगला चक्र 2027 में शुरू होगा और एरीज समेत दुनियाभर के विज्ञानी इसके अध्ययन में पुनः जुटेंगे। इस सुपर मैसीव ब्लैक होल का अगला चक्र अधिक महत्वपूर्ण होगा, जो ब्लैक होल से निकलने वालीं ऊर्जा, मास, खतरनाक जेट समेत अनेकों रहस्य का पर्दाफाश करेगी।
ग्लोबल नेटवर्क अध्ययन कर रहा इस ब्लैक होल पर
नैनीताल: डा आलोक गुप्ता ने बताया कि ब्लैक होल ओजे 287 पर दुनियाभर के विज्ञानियों का नेटवर्क अध्ययनरत है। इसके पीछे 20 से अधिक दूरबीनें ऑब्जर्वेशन में जुटी हुई हैं, जिनमें एरीज की देव स्थल स्थित 3.6 मीटर ऑप्टिकल दूरबीनो के अलावा जापान , चायना, यूरोपीय देश, रसिया व गुलजेरिया समेत कई अन्य देशों की दूरबीनें शामिल हैं। नई तकनीक व माडल विकसित होने के कारण ब्लैक होल के रहस्यों को समझने में अधिक मदद मिलने लगी है। जिस कारण लाखों करोड़ों मास वाले ब्लैक होल और उनसे निकलने वाली विस्फोटक ऊर्जा के रहस्य की जानकारी मिलने की संभावना जताई जा सकती हैं।
एरीज ही नहीं देश व दुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि है यह खोज
नैनीताल: आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक डा मनीष नाजा का कहना है कि यह खोज एरीज ही नहीं बल्कि देश व पूरी दुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि है। ब्रह्मांड की शक्तियों की जानकारी हासिल करने के लिए एरीज में छोटी बड़ी कई दूरबीनें स्थापित की गई है। देव स्थल स्थित 3.6 मीटर की ऑप्टिकल टेलीस्कोप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिस कारण एरीज के साथ भारतीय व अन्य देशों के विज्ञानियों का मनोबल बढ़ा है।
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