अब गांव की ही सुरक्षित भूमि पर होगा बारह गांवों का विस्थापन, चल रही भूगर्भीय जांच
पुनर्वास के लिए प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में भूमि नहीं मिलने से अब विस्थापित होने वाले गांवों का विस्थापन गांव की ही सुरक्षित भूमि पर होगा।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 26 Apr 2019 06:13 PM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : जिले में वर्ष 1972 के बाद आपदा से प्रभावित गांवों के एक भी परिवार का विस्थापन नहीं हुआ है। पुनर्वास के लिए प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में भूमि नहीं मिलने से अब विस्थापित होने वाले गांवों का विस्थापन गांव की ही सुरक्षित भूमि पर होगा। जिसके लिए प्रशासन ग्रामीणों की रजामंदी से भूमि का चयन कर रहा है। दो गांवों के विस्थापन की शासन से स्वीकृति भी मिल चुकी है।
जिले में बारह गांवों के विस्थापन की हो रही है कवायद जिले की धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट और बेरीनाग में बारह गांवों का विस्थापन के लिए चयन हुआ है। जबकि पूर्व से चयनित कई गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है। जिसमें मुनस्यारी का कुलथम गांव है। कुलथम के ग्रामीण वर्ष 1992 के बाद पांच स्थानों पर विस्थापित हो चुके हैं। गांव के जिस क्षेत्र में कुलथम के छह परिवार निवास कर रहे थे उस स्थल पर भी जुलाई 2018 में फिर से भूस्खलन हो गया। बारह में से नौ गांव धारचूला और मुनस्यारी के हैं।
विस्थापन के लिए प्रतीक्षारत गांवगर्गुवा का स्यारी तोक धारचूला
जम्कू का बांस तोक धारचूला जुम्मा का बारखोली तोक धारचूला
भदेल मुनस्यारी न्वाली कनालीछीना (डीडीहाट)
सानीखेत बेरीनाग मेतली का चामी तोक बंगापानी
कनार का जिमतड़ तोक बंगपानी धारपांगू का झरझंगरी तोक धारचूला
सुवा का न्यू धूरा धारचूलाबुंगबुंग के सिमखोला, अख्तू, रु पलासेम -- धारचूला
हिमखोला धारचूला पूर्व से विस्थापित की श्रेणी में आए गांवसाईपोलो , साईभाट, गोल्फा , बसंतकोट, क्वीरीजीमिया ( मुनस्यारी), खुम्ती, तोली, न्यू सोबला, झिमर गांव (धारचूला )।दो गांवों के विस्थापन की स्वीकृति शासन से आपदा से खतरे में आए दो गावों के विस्थापन की स्वीकृति मिल चुकी है। जिसमें विकास खंड धारचूला के कनार ग्राम पंचायत का तोयला तोक और तांकुल ग्राम पंचायत का मांगती तोक है। धारचूला तहसील प्रशासन ने ग्रामीणों की सहमति से भूमि का चयन कर दिया गया है। भू वैज्ञानिक एक मई से चयनित स्थलों की भूगर्भीय जांच करेंगे। जांच की रिपोर्ट के बाद विस्थापन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी । कुलथम गांव के विस्थापन की मांग लंबे समय से है। सुरक्षित स्थल का चयन हो रहा है। भूमि बैंक का नहीं होना रहा कारण जिले में आपदा की घटनाएं बढऩे से आपदा प्रभावित तोक और गांवों की संख्या बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ विस्थापन के लिए शासन स्तर पर भूमि बैंक नहीं है। जिसे देखते हुए बीते वर्षो में शासन ने प्रभावित गांव, विकास खंड, तहसील या फिर जिला स्तर पर सुरक्षित भूमि का चयन कर विस्थापन की नीति तैयार की है। प्रथम चरण पर गांव, दूसरे चरण पर विकास खंड, तीसरे चरण पर तहसील और चौथे चरण पर जिले के किसी भी हिस्से में विस्थापन का निर्णय लिया है। परंतु अभी तक किसी भी स्तर पर भूमि बैंक नहीं बनने से विस्थापन में देरी हो रही है।भूगर्भीय सर्वेक्षण किया जा रहा हैप्रदीप कुमार, भू-वैज्ञानिक, पिथौरागढ़ ने बताया कि विस्थापन के लिए चयनित गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया प्रारंभ है। गांव क्षेत्र में ही सुरक्षित स्थल का चयन कर भू गर्भीय जांच की जा रही है। पूर्व में विस्थापन के लिए लिए चयनित साईपोलो, साईभाट, खुम्ती, गोल्फा, बंसतकोट, जीमिया, तोली , न्यू सोबला, झिमर गांव में स्थिति अब बदल चुकी है। इन गांवों की दुबारा भूगर्भीय जांच हो रही है। गांवों में स्थिति सामान्य होती जा रहा है। इन गांवों में मिट्टी बैठ चुकी है। दुबारा जांच के बाद ही विस्थापन पर निर्णय लिया जाएगा।यह भी पढ़ें : धान का विकल्प बन रही है मक्के की खेती, पानी भी बच रहा, किसानों की अर्थिक सेहत भी सहीयह भी पढ़ें : उत्तराखंड के 3020 हज यात्रियों के सामने टीकाकरण का संकट, जानिए क्या है कारण
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