व्यास और दारमा के बीच घटेगी दूरी, पंचाचूली से ऊं पर्वत का रास्ता होगा आसान
तहसील धारचूला की दो उच्च हिमालयी घाटियों की दूरी अब कम होने वाली है। दोनों घाटियों के केंद्र बिंदु सिनला पास में सम्पर्क मार्ग बनते ही पर्यटक एक ही बार में पंचाचूली ग्लेशियर से लेकर ऊं पर्वत तक पहुंच सकेंगे।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Mon, 17 Dec 2018 08:00 PM (IST)
पिथौरागढ़, जेएनएन : तहसील धारचूला की दो उच्च हिमालयी घाटियों की दूरी अब कम होने वाली है। दोनों घाटियों के केंद्र बिंदु सिनला पास में सम्पर्क मार्ग बनते ही पर्यटक एक ही बार में पंचाचूली ग्लेशियर से लेकर ऊं पर्वत तक पहुंच सकेंगे।
व्यास घाटी काली नदी घाटी में लखनपुर से लेकर चीन सीमा लिपूलेख तक है। जिसमें कालापानी तक भारत नेपाल सीमा है । इसी घाटी में व्यास के अंतिम गांव कुटी के निकट जौलिंगकोंग है जहां पास में आदि कैलास और पार्वती सरोवर है। दूसरी तरफ धौलीगंगा नदी घाटी में दारमा घाटी है। जो दर से लेकर चीन सीमा तक है।दोनों उच्च हिमालयी घाटियों के मध्य आवाजाही के लिए कोई सम्पर्क नहीं है। एक घाटी से वापस तवाघाट आकर दूसरी घाटी में प्रवेश करना पड़ता है। आदि कैलास के निकट सिनला पास दोनो जोड़ता है परंतु यहां अभी तक आवाजाही के लिए सम्पर्क नहीं होने से दोनों घाटियों के बीच दूरी लंबी बनी है।ग्रामीणों, पर्यटकों सहित सुरक्षा बलों को भी झेलनी पड़ती है परेशानी
अभी तक दारमा और व्यास के मध्य सम्पर्क नहीं होने से दोनों घाटियों के ग्रामीणों को एक दूसरे के यहां नाते, रिश्तेदारी में जाने के लिए 60 से लेकर 180 किकी का फेरा लगाना पड़ता है। वहीं पर्यटकों को ऊं पर्वत और आदि कैलास के दर्शन कर वापस तवाघाट आकर फिर उसी के समानांतर दारमा में जाना पड़ता है। सुरक्षा बलों को भी इस समस्या से जूझना पड़ता है। सिनला पास में सम्पर्क मार्ग बनते ही व्यास के अंतिम गांव कुटी के ग्रामीण मात्र दो से तीन घंटे में दारमा के दुग्तू गांव पहुंच जाएंगे।आपदा काल में मददगार साबित होगा सिनला पास
आपदा काल में व्यास और दारमा जाने वाले किसी भी मार्ग के बंद होने पर एक घाटी के लोग दूसरी घाटी से होते हुए आवाजाही कर सकेंगे। इस वर्ष की भॉति ग्रामीणों को फंसना नहीं पड़ेगा। इधर लोनिवि के अनुसार सीएम की घोषणा को लेकर विभाग सिनला पास में सम्पर्क मार्ग बनाने के लिए तैयारियों में जुटा है। शीतकाल समाप्ति के बाद ही मार्ग निर्माण प्रारंभ होगा।सीएम की घोषणा को लेकर हरकत भी होने लगी है। रं कल्याण संस्था के अनुसार सिनला पास में स्वीकृत सम्पर्क मार्ग व्यास और दारमा घाटी के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित होगा। ग्रीष्म काल में दोनों घाटियों के ग्रामीण जब अपने मूल गांवों में होते हैं तो उनके बीच सम्पर्क पूरी तरह भंग रहता है। संस्था का कहना है कि सिनला पास के पास मार्ग बन जाने के बाद ग्रीष्म काल में भी आपस में सम्पर्क बना रहेगा। एक घाटी के लोग दूसरी घाटी के ग्रामीणों से उच्च हिमालय से ही सम्पर्क में रहेंगे।यह भी पढ़ें : मुनस्यारी का हिमपात देखने आ रहे हैं तो पढ़ लें ये खबर, वरना होंगे परेशान
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।