बच्चों को 20 मिनट से ज्यादा न देखने दें मोबाइल, वरना ये होंगे दुष्परिणाम
अगर आपका लाडला दिन भर में 20 मिनट से अधिक समय तक मोबाइल देखता है, तो इससे आंखों को नुकसान हो सकता है।
By Edited By: Updated: Mon, 07 Jan 2019 06:36 PM (IST)
हल्द्वानी, जेएनएन : अगर आपका लाडला दिन भर में 20 मिनट से अधिक समय तक मोबाइल देखता है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए। अधिक समय तक मोबाइल स्क्रीन पर आंखें टिकाए रहने से केवल आंखें ही खराब नहीं होती, बल्कि इसका दिमाग व व्यवहार पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। तमाम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है। यह कहना है डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन मेहरोत्रा का। वह रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में कुमाऊं भर के सुधी पाठकों को परामर्श दे रहे थे।
शोध में खतरे आ चुके हैं सामने
डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि पीजीआइ चंडीगढ़ के अध्ययन में भी स्पष्ट हो चुका है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व किशोरों के लगातार तीन से चार घंटे तक मोबाइल देखे रहने से सिर दर्द, दो दिखना और तिरछापन होने की समस्या पैदा हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई शोध हैं, जिसे वीडियो गेम विजन सिंड्रेाम नाम दिया गया है। बच्चों पर नियंत्रण नहीं किया गया है तो बिहेवियरल डिसऑर्डर होने का भी खतरा रहता है। डॉ. नितिन बताते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के एक शोध में तीन घंटे से अधिक समय तक मोबाइल स्क्रीन देखे रहने को स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर कहा गया है। इसमें देखा गया है कि ऐसे एडिक्ट बच्चों को जब मोबाइल से दूर रखा जाता है तो उनमें चिड़चिड़ापन समेत कई तरह के लक्षण दिख जाते हैं। बच्चों में मोबाइल प्रयोग के खतरे
आंखों पर चश्मा लग सकता है
दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है
नींद की दिक्कत व सिर दर्द होना
व्यवहार में बदलाव आने लगता है
झूठ बोलने की आदत बढ़ती है
सिर में दर्द होने की शिकायत
डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि पीजीआइ चंडीगढ़ के अध्ययन में भी स्पष्ट हो चुका है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व किशोरों के लगातार तीन से चार घंटे तक मोबाइल देखे रहने से सिर दर्द, दो दिखना और तिरछापन होने की समस्या पैदा हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई शोध हैं, जिसे वीडियो गेम विजन सिंड्रेाम नाम दिया गया है। बच्चों पर नियंत्रण नहीं किया गया है तो बिहेवियरल डिसऑर्डर होने का भी खतरा रहता है। डॉ. नितिन बताते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के एक शोध में तीन घंटे से अधिक समय तक मोबाइल स्क्रीन देखे रहने को स्क्रीन डिपेंडेंसी डिसऑर्डर कहा गया है। इसमें देखा गया है कि ऐसे एडिक्ट बच्चों को जब मोबाइल से दूर रखा जाता है तो उनमें चिड़चिड़ापन समेत कई तरह के लक्षण दिख जाते हैं। बच्चों में मोबाइल प्रयोग के खतरे
आंखों पर चश्मा लग सकता है
दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है
नींद की दिक्कत व सिर दर्द होना
व्यवहार में बदलाव आने लगता है
झूठ बोलने की आदत बढ़ती है
सिर में दर्द होने की शिकायत
ऐसे करें बच्चों को मोबाइल से दूर
20 मिनट से ज्यादा मोबाइल न देखने दें
माता-पिता मोबाइल दूर रखें
बच्चों को दुष्प्रभावों के बारे में समझाएं
पैरेंट्स बच्चों के सामने मोबाइल कम प्रयोग करें
बच्चों को खेलकूद के लिए माहौल दें
दिक्कत होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें एसटीएच में एक सप्ताह में 20 मरीज
एसटीएच में मोबाइल से आखों की समस्या से ग्रस्त बच्चों व किशोरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉ. नितिन बताते हैं, एक सप्ताह में करीब 20 मरीज इसी बीमारी के होते हैं।
20 मिनट से ज्यादा मोबाइल न देखने दें
माता-पिता मोबाइल दूर रखें
बच्चों को दुष्प्रभावों के बारे में समझाएं
पैरेंट्स बच्चों के सामने मोबाइल कम प्रयोग करें
बच्चों को खेलकूद के लिए माहौल दें
दिक्कत होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें एसटीएच में एक सप्ताह में 20 मरीज
एसटीएच में मोबाइल से आखों की समस्या से ग्रस्त बच्चों व किशोरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉ. नितिन बताते हैं, एक सप्ताह में करीब 20 मरीज इसी बीमारी के होते हैं।
इन्होंने लिया परामर्श
रानीखेत के बची सिंह, बाजपुर के राजीव गुप्ता, गौलापार के गंगा सिंह, बिंदुखत्ता के लक्ष्मण सिंह, हल्द्वानी नवाबी रोड के हिमांशु, आवास विकास के विशू उपाध्याय, बागेश्वर के मो. यासीन, रुद्रपुर की रमा पांडे, अनमोल कुमार, गंगाधर जोशी, नैनीताल मल्लीताल की रश्मि तिवारी, गदरपुर के राजेश कुमार, चम्पावत के मदन राम, काशीपुर के एससी सक्सेना, चरनजीत सिंह, पिथौरागढ़ के दीप सिंह ने फोन कर सलाह ली। यह भी पढ़ें : नैनीताल में एपीएल कार्ड की लिमिट फुल, वेबसाइट पर नहीं हो पा रहे नए आवेदन
यह भी पढ़ें : नैनीताल-मुनस्यारी में हुई बर्फबारी, पर्यटकों ने उठाया मौसम का लुत्फ
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।रानीखेत के बची सिंह, बाजपुर के राजीव गुप्ता, गौलापार के गंगा सिंह, बिंदुखत्ता के लक्ष्मण सिंह, हल्द्वानी नवाबी रोड के हिमांशु, आवास विकास के विशू उपाध्याय, बागेश्वर के मो. यासीन, रुद्रपुर की रमा पांडे, अनमोल कुमार, गंगाधर जोशी, नैनीताल मल्लीताल की रश्मि तिवारी, गदरपुर के राजेश कुमार, चम्पावत के मदन राम, काशीपुर के एससी सक्सेना, चरनजीत सिंह, पिथौरागढ़ के दीप सिंह ने फोन कर सलाह ली। यह भी पढ़ें : नैनीताल में एपीएल कार्ड की लिमिट फुल, वेबसाइट पर नहीं हो पा रहे नए आवेदन
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