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रुद्रपुर जब बसा गया था तब पांच हजार थी आबादी, अब ढ़ाई लाख फिर भी ड्रेनेज सिस्टम नहीं

रुद्रपुर नगर निगम की आबादी करीब ढाई लाख हो गई है। हैरानी है कि शहर में ड्रेनेज व्यवस्था नहीं हो सकी। लिहाजा थोड़ी सी बारिश होने पर शहर जलमग्न हो जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Thu, 03 Sep 2020 05:33 PM (IST)
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रुद्रपुर जब बसा गया था तब पांच हजार थी आबादी, अब ढ़ाई लाख फिर भी ड्रेनेज सिस्टम नहीं
रुद्रपुर, जेएनएन : चंडीगढ़ की तर्ज पर रुद्रपुर को बसाना था। मगर सपना सपना ही रह गया। जब रुद्रपुर बसाया गया तो उस समय पांच हजार की आबादी थी। राज्य बनने के बाद औद्याेगिक क्षेत्र होने से रुद्रपुर की पहचान विश्व पटल पर बनी। इसके साथ आबादी की गुणात्मक बढ़ोत्तरी हुई । वर्तमान में रुद्रपुर नगर निगम की आबादी करीब ढाई लाख हो गई है। हैरानी है कि शहर में ड्रेनेज व्यवस्था नहीं हो सकी। लिहाजा थोड़ी सी बारिश होने पर शहर जलमग्न हो जाता है। घरों में गंदा पानी घुस जाता है। लाेगों का जीना मुहाल हो जाता है। फिर भी शासन प्रशासन बेखबर है।

कुमाऊं का दूसरा और उत्तराखंड का पांचवा सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर रुद्रपुर है। वर्ष, 1961 में रुद्रपुर की कुल आबादी नौ हजार 662 थी, जबकि वर्ष, 2011 की जनगणना के अनुसार निगम की कुल आबादी एक लाख 40 हजार 857 हो गई। जबकि वर्तमान में एक सर्वे के अनुसार नगर निगम क्षेत्र की आबादी दो लाख 50 हजार 700 हो गई है। वर्ष, 2013 में नगर निगम बनने से पहले रुद्रपुर नगर पालिका था। वर्ष, 1970 में पालिका से पूर्व रुद्रपुर ने नगर पंचायत व परिषद आदि का सफर तय किया है। वर्ष,2018 में नगर निगम का विस्तार हुआ तो करीब 11 गांव और शामिल हो गए। इससे वार्डों की संख्या 20 से बढ़कर 40 हो गई। साथ ही निगम का क्षेत्रफल 55.22 वर्ग किलोमीटर हो गया है। यानि पहले के मुकाबले करीब छह गुना ज्यादा हो गया है।

वर्तमान में लगभग हर मुहल्ले में सड़क के दोनों ओर नालियां बनाई गई हैं। जिनसे पानी बहकर कल्याणी व बेगुल नदी में जाता है। फिर भी बरसात के दिनों में जलभराव आम बात है। जल निकासी न होने से नालियां चोक हो जाती हैं तो गंदा पानी लोगों के घरों व दुकानाें मे घुस जाता है। इससे लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। कई बार व्यापारियों, नगर निगम व प्रशासन के साथ वार्ता हुई,मगर समस्या का समाधान नहीं हो सका।

आबादी के साथ बढ़ी जलनिकासी समस्या

महानगर का विस्तार की बात की जाए तो वर्ष, 1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान से आए लोगों को और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को तराई में बसाया गया। बाद में बंग्लादेश के विभाजन के समय 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंग्ला समुदाय के लोगों को ट्रांजिट कैंप क्षेत्र में बसाया। बाद में आबादी बढ़ी तो जल निकासी के लिए लोगों ने घरों के पास कच्ची नालियां बनाईं। जिसे कई गड्ढों व तालाबों से जोड़ दिया गया। सन 1970 में रुद्रपुर के नगर पालिका बनने के बाद सुभाष चतुर्वेदी पहले पालिका अध्यक्ष बने। जिसके बाद कई मुहल्लों में सड़क किनारे पक्की नालियां बनाई गईं।

350 लाख का कार्य हुआ आरंभ

ड्रेनेज व्यवस्था सुधारने के लिए रुद्रपुर में 350 लाख का कार्य आरंभ हो गया है। अमृत योजना में सिंचाई विभाग व हाइड्रिल के मध्य स्थित कच्चे नाले को पक्का कर दिया गया है। नगर निगम में अमृत योजना के प्रभारी अजय बंसल ने बताया कि 210 मीटर लंबाई के इस नाले में एक करोड़ 40 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसी तरह शिवनगर से सिडकुल ढाल तक नाला निर्माण का कार्य जारी है। साढ़े तीन किमी. लंबे इस नाले के लिए दो करोड़ 10 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं।

जानें क्या कहना है जिम्मेदारों का

रिंकू नेगी, उप नगर आयुक्त, रुद्रपुर ने कहा कि नगर निगम में अमृत योजना की ओर से दो प्रमुख प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। जिससे ड्रेनेज सिस्टम में बड़ा सुधार होगा। जल निकासी की समस्या लंबे समय के लिए रुद्रपुर में खत्म हो जाएगी। वहीं महापौर रामपाल सिंह ने बताया कि एनएचआइ की ओर से सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जिसमें दो मीटर चौड़ाई व ढाई मीटर गहराई का निर्माण किया जाएगा। नैनीताल रोड व काशीपुर बाइपास पर हो रहे इस निर्माण से पानी निकासी की व्यवस्था बेहतर हो जाएगी।

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