नैनीताल में कार से घर जा रहा था चालक, बर्फबारी बनी जानलेवा, दो दिन बाद खाई में मिला शव
महाशिवरात्रि से एक दिन पहले घर जा रहे शख्स का वाहन किलबरी रोड पर हिमालय दर्शन क्षेत्र में बर्फ में फिसलकर करीब चार सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरा। इस हादसे में चालक की मौत हो गई।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 05 Mar 2019 07:14 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : महाशिवरात्रि से एक दिन पहले घर जा रहे शख्स का वाहन किलबरी रोड पर हिमालय दर्शन क्षेत्र में बर्फ में फिसलकर करीब चार सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरा। इस हादसे में चालक की मौत हो गई। घटना का पता तीन दिन बाद चला।
पंगोठ क्षेत्र के घुग्घु सिगड़ी निवासी 45 वर्षीय गोधन सिंह पुत्र जंगबहादुर सिंह कार्की नैनीताल में ट्रेवल्स दीवान सिंह रौतेला के यहां वाहन चालक थे। महाशिवरात्रि पर घर जाने के लिए वह रविवार को शाम करीब 6:30 बजे कार से सूखाताल से किलबरी रोड की तरफ निकले। उस समय भीषण ओलावृष्टि हो रही थी और किलबरी मार्ग ओलों से पटा पड़ा था। हिमालय दर्शन से पांच सौ किमी आगे वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर करीब चार सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरा। इधर गोधन के घर नहीं पहुंचने पर ट्रेवल्स संचालक व परिजनों ने तलाश शुरू की। मंगलवार दोपहर बाद जब हिमालय दर्शन से आगे खाई में नजर दौड़ाई गई तो गाड़ी का बोनट दिखाई दिया। दुकानदार पंकज वर्मा जान जोखिम में डालकर खाई में उतरे तो उन्हें गाड़ी तथा नाले में पड़ा शव दिखाई दिया। इधर सूचना पर एसडीएम विनोद कुमार, कोश्यां-कुटौली के तहसीलदार कृष्ण चंद्र आर्य, कोतवाल ध्यान सिंह, एसआई दीपक बिष्टï, टीएसआइ उमानाथ मिश्र भी मौके पर पहुंच गए। खाई से शव निकालने के लिए एसडीआरएफ बुलाई गई। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद शव को खाई से सड़क तक लाया जा सका। पुलिस ने पंचनामा भरने के बाद उसे मोर्चरी भेज दिया।
पहली बार गाड़ी लेकर हुआ रवाना
गोधन सिंह हमेशा घर जाते समय कार नैनीताल में पार्क करने के बाद दूसरे वाहन से घर जाते थे। पहली बार वह खुद गाड़ी चलाकर गांव निकले थे। बेहद मिलनसार गोधन की मौत की सूचना पर शहर के ट्रेवल एजेंट व चालक मौके पर पहुंचे थे। मृतक अपने पीछे पत्नी, तीन बच्चों को छोड़ गए हैं।
पैराफिट होती तो बच जाती जान
नैना देवी बर्ड रिजर्व क्षेत्र से होकर जाने वाले किलबरी-पंगोठ मोटर मार्ग खतरों से भरा है। इस सड़क पर हिमालय दर्शन के अलावा कहीं पर भी पैराफिट नहीं हैं। जबकि सड़क के नीचे खतरनाक खाई है। पूर्व में भी इस सड़क में हादसे हो चुके हैं, मगर प्रशासन बेपरवाह बना है। वन विभाग ने भी बर्ड रिजर्व घोषित होने के बाद सुरक्षा उपायों से पीठ फेर ली।
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