corona : कोरोना वायरस के कारण उत्तराखंड में जीवन रक्षक दवाओं के उत्पादन पर संकट
कोरोना वायरस ने जीवन रक्षक दवाओं के लिए संकट पैदा गहराने लगा है। उत्तराखंड दवा उत्पादन कंपनियां 70 प्रतिशत दवाओं के प्रोडक्शन के लिए चीन पर निर्भर हैं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 06 Mar 2020 01:16 PM (IST)
काशीपुर, जेएनएन : कोरोना वायरस का असर जीवन रक्षक दवाओं पर भी पड़ने लगा है। उत्तराखंड की दवा उत्पादन कंपनियां 70 फीसद दवाओं के प्रोडक्शन के लिए चीन पर निर्भर हैं। प्रदेश की दवा कंपनियों के चीन में कोरोना की वजह से सक्रिय औषधि अवयवों की आपूर्ति पर असर पड़ा है। हालात में जल्द नहीं सुधरे तो सुधार की शुरुआत नहीं हुई तो घरेलू दवा उद्योग पर इसका असर पड़ सकता है। उत्तराखंड में एंटीबायोटिक और विटामिन जैसी दवाओं का निर्माण चीन से आयात अवयवों पर निर्भर है। कंपनियां इन अवयवों का दो-तीन महीने का भंडार बनाकर रखती हैं। मार्च के मध्य में अधिकांश कंपनियों के पास कच्चे माल का भंडारण खत्म होनेे के कारण दवाओं के उत्पादन पर असर पड़ेगा। वहीं इन दवाओं के रेट में बढ़ोतरी की संभावना भी जताई जा रही है।
क्यों दवा उत्पादन पर पड़ रहा असर उत्तराखंड में तकरीबन 350 से ज्यादा दवा प्रोडक्शन कंपनी कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश कंपनियां तकरीबन 300 से ज्यादा कंपनियां हरिद्वार व देहरादून में कार्यरत हैं, जबकि 44 दवा कंपनियां ऊधमसिंह नगर में चल रही हैं। काशीपुर में भी पांच यूनिट काम कर रही हैं। इन दवा कंपनियों एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट चीन से मंगाया जाता है, जिन्हें यहा टेबलेट व अन्य लिक्विड फॉर्म में तैयार कर प्रोडक्शन किया जाता है। इन कंपनियों के 70 प्रतिशत उत्पादन चीन पर निर्भर थी।
बीपी, शुगर व हार्ट कैंसर जैसी जीवनरक्षक दवाओं पर असर उत्तराखंड में लगभग 350 कंपनियों के प्रोडेक्शन पर स्टॉक कच्चे माल से ही काम चला रहे हैं। बीपी, शुगर, हार्ट, कैंसर समेत जीवनरक्षक दवाओं की बाजार में किल्लत हो सकती है। दवा कंपनियों सहित बल्क ड्रग डीलरों के पास एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट (एपीआइ) का नाममात्र स्टॉक बचा हुआ है। मौजूदा समय में चीन से 67 तरह के एपीआइ की आपूॢत होती है।
यूरोप पर नजर, लेकिन दाम बढऩे की आशंका चीन से मार्केट से आने वाले एपीआइ के बाद अब यूरोपी देशों के तरफ प्रोडक्शन कंपनियों की नजर है। दवा प्रोडक्शन कंपनियों का कहना है कि कोरोना के चलते भारत में सभी कंपनियों के लिए बाल उपलब्ध होना आसान नहीं हैं। इसके लिए यूरोपी देशों में डिमांड भेजी जा रही है, लेकिन डिमांड बढऩे के चलते रेट में भी इजाफा हो गया है। ऐसी उम्मीद है कि मार्च तक यही स्थिति बनी रही तो दवाओं के रेट में इजाफा करना पड़ सकता है। अमित गर्ग, सचिव, ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन कुमाऊं मंडल ने बताया कि उत्तराखंड में दवाओं के प्रोडक्शन पर कोरोना के चलते संकट गहराया है। चूंकि 70 प्रतिशत प्रोडक्शन एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट हम चीन के मार्केट पर निर्भर है इसलिए दिक्कत आ रही है।
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