गलियारों पर अतिक्रमण, खुराक के लिए आबादी में गजराज
जंगल से सटे खेतों में आसानी से खुराक मिलने की वजह से हाथियों की दस्तक आबादी के लिए भी बड़ा संकट बन गई है। गजराज व इंसानों के बीच टकराव बढऩे का कारण भी यही है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 10 Nov 2018 06:39 PM (IST)
नैनीताल (जेएनएन) : 20 साल पहले तक अपने गलियारे से होते हुए हल्द्वानी के जंगलों से चलते-चलते गोरखपुर तक पहुंचने वाले हाथी अब आसपास के गांवों में दस्तक दे रहे हैं। उनके गलियारे (कॉरिडोर) जगह-जगह बंद होना इसका बड़ा कारण है। जंगल से सटे खेतों में आसानी से खुराक मिलने की वजह से हाथियों की दस्तक आबादी के लिए भी बड़ा संकट बन गई है। गजराज व इंसानों के बीच टकराव बढऩे का कारण भी यही है।
गौलापार में सूखी नदी से सटे 25 व रामपुर रोड के दस गांवों के अलावा फतेहपुर एरिया में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। अगस्त से अभी तक करीब 200 एकड़ फसल को झुंड रौंद चुका है। वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद गजराज की आबादी में दस्तक नहीं रुक रही है। जंगल से सटे इलाकों में आबादी बसने के बाद वहां की जा रही खेती इसकी मुख्य वजह है। जंगल में भोजन को भटकने वाले हाथी को खेतों में खुराक मिल रही है। वहीं, लंबी दूरी तय करने वाले इस वन्यजीव के लिए बनाए गए कॉरिडोर में अतिक्रमण होने की वजह से आबादी में इनकी दस्तक आम हो चुकी है। जिससे वन विभाग की भी चिंता बढ़ रही है।
अगस्त से फरवरी तक आबादी में : जंगल से हाथियों का झुंड अगस्त से फरवरी के बीच ही आबादी की तरफ ज्यादा आ रहा है। दरअसल, बरसात के दौरान जंगल में आसानी से भोजन उपलब्ध हो जाता है। वहीं, अगस्त से धान, मक्का, गन्ना व हरे चारे का सीजन होने की वजह से उसकी खुराक आबादी में आने पर ही पूरी हो रही है।
बिजनौर पहुंच रहे कॉर्बेट के हाथी : गन्ना सीजन के दौरान कॉर्बेट नेशनल पार्क से हाथियों का झुंड हर साल बिजनौर पहुंच रहा है। 50-50 की संख्या में झुंड पहाड़ी एरिया से मैदान की ओर रुख करते हैं।
रेडियो कॉलर कारगर नहीं : तकनीक के जरिये गजराज को आबादी से दूर करने की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी है। दावा था कि रेडियो कॉलर लगाने के बाद आबादी में पहुंचने से ठीक पहले एक खास किस्म के एप पर इसके संकेत मिलेंगे, लेकिन वन विभाग इसमें सफल नहीं हो पाया।एक कॉरिडोर बंद, दूसरा खुला : हल्द्वानी के आसपास दो हाथी कॉरिडोर है। पहला गौला कॉरिडोर, जो कि लालकुआं वन निगम डिपो से हल्दूचौड़ ऑयल डिपो तक आता है। जबकि दूसरा फतेहपुर-भाखड़ा नदी वाला है। इसमें गौला कॉरिडोर अधिकांश जगह अतिक्रमण की जद में है। फतेहपुर की स्थिति ठीक है।
दो लोग मारे गए, 25 हो चुके हैं घायल : एरिया सीमित होने की वजह से हाथी आक्रामक हो रहे हैं। लंबी दूरी तय करने वाले वन्यजीव के रास्ते में मानव बस्तियां होना भी एक कारण है। कुमाऊं में पिछले एक साल के भीतर 25 लोगों पर हमला हो चुका है। दो लोग जान भी गंवा चुके हैं।
जंगल से सटे इलाकों में फसल चक्र को बदलना होगा। खासकर उन फसलों को छोडऩा होगा जो हाथियों को आकर्षित करती है। इस मामले में कृषि विभाग का सहयोग भी जरूरी है। ताकि लोग जागरूक हो सके।- डॉ. चंद्रशेखर सनवाल, डीएफओ
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