खेती-किसानी खत्म होने से बढ़ा पहाड़ों से पलायन, चीन विवि में उत्तराखंड की प्रोफेसर ने तैयार की यह रिपोर्ट
वर्ष 2021 में मध्य-दक्षिणी भारत में सब्जियों की कीमतें 100-140 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर उठीं है जबकि राज्य के घरेलू सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि के कारण राज्य में सब्जी की कीमत 40-60 प्रति किलोग्राम ही रही।
By Prashant MishraEdited By: Updated: Sun, 13 Feb 2022 09:59 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : पहाड़ की महिलाएं घरेलू अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती थीं, लेकिन आज फल पट्टी से विलुप्त हो रहे बागों से न केवल घरेलू अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है, बल्कि कृषि में महिलाओं की भागीदारी की दर को भी कम कर दिया है। इस परिवर्तन ने पहाड़ से आधुनिक समाज को पलायन के लिए मजबूर कर दिया।
यह कहना है चीन विवि में प्रोफेसर गायत्री कठायत का। अपने अध्ययन के आधार पर तैयार रिपोर्ट में डा. गायत्री कहती हैं कि कृषि का दुनिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण रोल है। कृषि उत्पादन का क्षेत्र सरकार की ओर से किए निवेश को सौ गुना बढ़ा कर देता है। पिछले पांच वर्षों में पहली बार राज्य सरकार ने पर्वतीय कृषि में सुधार और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य किया है। किसानों को उनकी भूमि क्षमता के आधार पर सब्सिडी लाभ प्रदान किया है।
जागरण से बातचीत में डा.गायत्री ने कहा कि लघु व सीमांत किसानों के लिए सरकार ने एक मशीनरी उपकरण पैकेज की आपूर्ति की है, जिसमें घास कटर, ब्रश कटर, मिनी ट्रैक्टर, रोटावेटर, कल्टीवेटर वीडर, सूक्ष्म सिंचाई उपकरण शामिल हैं जबकि बड़े किसानों के लिए बड़े पैमाने पर हाइब्रीड फल नर्सरी और फल बगीचों में उपकरण उपलब्ध कराए हैं। इस कदम से समाज को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है। उन्होंने कहा उदाहरण के लिए वर्ष 2021 में मध्य-दक्षिणी भारत में सब्जियों की कीमतें 100-140 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर उठीं है जबकि राज्य के घरेलू सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि के कारण राज्य में सब्जी की कीमत 40-60 प्रति किलोग्राम ही रही। दैनिक जीवन के खर्चे को कृषि उत्पादन बढ़ाकर ही कम किया जा सकता है। साफ किया कि पर्वतीय कृषि व बागबानी से ही पहाड़ में रिवर्स पलायन हो सकता है।
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