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डेढ़ करोड़ से हुआ नैनीतल के दुर्गा लाल साह पुस्तकालय का जीर्णोद्धार, चार साल बाद आमजन के लिए खुलेगा

पुस्तकों के अध्ययन में रुचि रखने वाले शहरवासियों और पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। एक अर्से से बंद पड़ा मालरोड स्थित दुर्गा लाल साह पुस्तकालय बहुत जल्द आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। डेढ़ करोड़ की लागत से इस पुस्तकालय का जीर्णोद्धार कार्य किया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Tue, 02 Mar 2021 10:32 AM (IST)
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चार वर्ष बाद आमजन के लिए खुलेगा नैनीतल का दुर्गा लाल साह पुस्तकालय

नैनीताल, नरेश कुमार : पुस्तकों के अध्ययन में रुचि रखने वाले शहरवासियों और पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। एक अर्से से बंद पड़ा मालरोड स्थित दुर्गा लाल साह पुस्तकालय बहुत जल्द आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। एडीबी वित्त पोषित योजना के तहत करीब डेढ़ करोड़ की लागत से इस पुस्तकालय का जीर्णोद्धार कार्य किया गया है। जोकि लगभग पूरा हो चुका है। जल्द झील का मनोरम दृश्य देखते हुए लोग यहाँ अध्ययन कर पाएंगे।

शहर स्थित दुर्गा लाल साह पुस्तकालय की स्थापना ब्रिटिश काल मे एक भारतीय के प्रयासों का प्रतिफल है। झील किनारे स्थित ब्रिटिश काल मे स्थापित की गई ये शहर की एकमात्र पब्लिक लाइब्रेरी है। जहां शहरवासियों के साथ ही पर्यटक भी किताबों के साथ वक्त गुजरते हैं। वर्ष 1933-34 में शहरवासी मोहन लाल साह ने नगर पालिका में पुस्तकालय खोलने का प्रस्ताव रखा था। मगर तत्कालीन अध्यक्ष ने पुस्तकालय की स्थापना में करीब पांच हजार का खर्च आने और पालिका इसके लिए समर्थ नहीं होने की बात कहकर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। जिसके बाद मोहन लाल साह ने खुद इस खर्च को वहन करने की पेशकश की।

उन्होंने पांच हजार देते हुए पुस्तकालय का नाम उनके पिता दुर्गा लाल साह के नाम पर रखने की शर्त रखी गयी। पालिका ने प्रस्ताव स्वीकार करते हुए पुस्तकालय का निर्माण करवा दिया। मगर कुछ ही वर्ष बाद पुस्तकों की खरीद में अधिक राशि खर्च होने की बात कहते हुए मोहन लाल साह द्वारा दिये गए पांच हजार रुपये लौटा दिए। पुस्तकालय से दुर्गा लाल साह का नाम हटाकर म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी कर दिया गया। मगर मोहन लाल साह ने लौटाए हुए पैसे लेने से इनकार कर दिया। 1946 में इसका नाम दोबारा दुर्गा लाल साह म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी कर दिया गया। जिसके बाद से ही नगर पालिका द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है।

डेढ़ करोड़ की लागत से चार वर्ष में हो पाया काम

ब्रिटिशकाल में स्थापित इस पुस्तकालय की हालत जीर्ण शीर्ण हो चुकी थी। 2016 में एडीबी वित्त पोषित ईइफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम फॉर टूरिज्म योजना के तहत शहर की अन्य ऐतिहासिक इमारतों के साथ ही पुस्तकालय के जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू किया गया। मगर इस कार्य को पूरा होने में चार वर्ष से अधिक का समय लग गया। मगर अब करीब डेढ़ करोड़ की लागत से पुस्तकालय में लगभग सभी कार्य पूरे करा लिए गए है। जइससे पुस्तकालय भवन पूर्व से भी आकर्षक नजर आ रहा है। जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि पुस्तकालय में जीर्णोद्धार संबंधी सभी कार्य पूरे करा लिए गए है। महज कुछ फर्नीचर बदलवाना है। कुछ ही दिनों में फर्नीचर मंगवाकर इसे आमजन के लिए खोल दिया जाएगा।

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