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Earthquake Alert:उत्तराखंड में बड़े भूकंप का खतरा, इन संकेतों से बढ़ी चिंता, मंगलवार रात इसी कारण लगे थे झटके

Earthquake Alert भू वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बड़े भूकंप की आशंका जताई है। कई शोधों के बाद इसका दावा किया गया है। कानपुर आइआइटी के साथ ही रुड़की आइआइटी वैज्ञानिकों ने भी इस बात की आशंका जताई है।

By Rajesh VermaEdited By: Updated: Thu, 10 Nov 2022 06:15 PM (IST)
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उत्तराखंड में बड़ा भूकंप का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी तीव्रता 6 से 8 रिक्टर स्केल तक हो सकती है।
राजेश वर्मा, हल्द्वानी। Earthquake Alert: उत्तराखंड में आने वाले समय में बड़ा भूकंप (Earthquake in Uttarakhand) आ सकता है। कई भू वैज्ञानिकों ने इसका दावा किया है। वैज्ञानिकों ने बताया है मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह आया भूकंप महज एक फिल्मी ट्रेलर जैसा था। आने वाले समय में उत्तराखंड में बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है, जिसकी तीव्रता 6 से लेकर 8 रिक्टर स्केल तक हो सकती है।

इन कारणों से वैज्ञानिक दावों को मिल रहा बल

भूवैज्ञानिक उत्तराखंड को भूकंप की दृष्टि से जोन 5 में रखते हैं। लिहाजा, भूकंप आने की आशंका के वैज्ञानिकों के नए दावों से चिंता बढ़ गई है। कारण भी है क्योंकि उत्तराखंड मुख्य सेंट्रल थ्रस्ट पर बसा है। यहीं से हिमालयन बेल्ट की फाल्ट लाइन भी गुजरती है। इसी कारण रह रहकर भूकंपीय झटके महसूस होते रहते हैं। मगर सोमवार को गढ़वाल आैर मंगलवार की रात और फिर बुधवार सुबह पूरे कुमाऊं और नेपाल में जिस तरह के झटकों ने लोगों को दहशत में डाली, उससे वैज्ञानिकों के इन दावों को बल मिला है।

आइआइटी कानुपर के वैज्ञानिकों ने जताई है आशंका

इसी को लेकर कानुपर आइआइटी (IIT Kanpur) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक और उनकी टीम का एक शोध सामने आया है। उनकी टीम ने जीपीआर, जीपीएस और सैटेलाइट की मदद से पहाड़ी और तराई के क्षेत्र में आए भूकंप के निशान तलाशे हैंऔर उस अाधार पर सर्वे के बाद जारी उनकी शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में 7.5 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला भूकंप निश्चित आएगा।

उत्तराखंड में पूर्व में आए थे बड़े भूकंप

उत्तराखंड में पूर्व में आए बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की बात करें तो 1999 में चमोली में आया भूकंप बड़ा था। उसकी तीव्रता 6.8 मैग्नीट्यूड थीं। वहीं इससे पहले 1991 के उत्तरकाशी में 6.6, 1980 में धारचूला 6.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप आ चुके हैं। इसके बाद से बड़ी तीव्रता वाला कोई भूकंप राज्य में नहीं आया है। इस कारण भी वैज्ञानिक आशंका जता रहे हैं कि उत्तराखंड में आने वाले वर्षों में बड़ा भूकंप आ सकता है।

30 साल बाद बड़े भूकंप की रहती है आशंका

इस बारे में आईआईटी रुड़की (IIT Rurkee) के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक प्रो. एमएल शर्मा का कहना है कि करीब 30 साल के अंतराल में बड़े भूकंप की आशंका प्रबल हो जाती है। उत्तराखंड में चमोली और उत्तरकाशी में छह मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप 2000 से पहले के हैं। इसके बाद कोई भूकंप न आने से एक बड़ा गैप बन चुका है। जिससे पृथ्वी के भीतर 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर एनर्जी एकत्र हो रही है, जो कभी भी भूकंप के रूप में बाहर आ सकते हैं।

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यह कैलकुलेशन बताता भूकंप आने के चांस

प्रो. एमएल शर्मा के मुताबिक, भूकंप कब आ सकता है इसका सटीक समय नहीं बताया जा सकता, मगर गुटनबर्ग रिएक्टर कैलकुलेशन की मदद से समय-समय पर भूकंप की आशंका का प्रतिशत में निकाला जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य में भूकंप की दृष्टि से कैलकुलेशन के परिणाम बात रहे हैं कि राज्य में 6 से 7 मैग्नीट्यूड तक का भूकंप आने का चांस 90 प्रतिशत है। अभी बीच-बीच में जो हल्के झटके महसूस होते रहे हैं, वह हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण है। भविष्य में यह झटका भयंकर हो सकता है।

चेतावनी भर संकेत था मंगलवार रात का भूकंप

उत्तराखंड के वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञानी प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया भी कहते हैं कि मंगलवार रात भूकंपीय हलचल अतिसंवेदनशील उत्तराखंड को चेतावनी भरा संकेत दे गई है। उन्होंने कहा कि बगैर भूगर्भीय सर्वे के बेधड़क किए जा रहे अनियोजित व अवैज्ञानिक विकास की रफ्तार पर लगाम नहीं लगाई गई तो भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना होगा। धरती के गर्भ में कितनी ऊर्जा संरक्षित है, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता, मगर वर्तमान में यह धीरे-धीरे उत्सर्जित हो रही है। यह बड़े भूगर्भीय हलचल की चेतावनी भी है।

पूर्व में सिंगापुर के वैज्ञानिक भी दे चुके हैं चेतावनी

कुछ महीनों पहले सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने भी उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आने की आशंका जताई थी। एशियाई भूकंपीय आयोग सिंगापुर की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तराखंड में लंबे समय से भूकंप नहीं आया है। इस वजह से उत्तर पश्चिमी हिमालयी रीजन में जितनी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्म में एकत्र हुई है, उसकी केवल 3 से 5 फीसदी ऊर्जा ही अब तक बाहर निकल पाई है। हिमालय के नीचे हो रही हलचत से धरती पर दबाव बढ़ रहा है, इसीलिए भविष्य में बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है।

बचाव के लिए करने होंगे ये उपाय

भूवैज्ञानिकों ने चेतावनी के साथ बचाव के उपाय भी सुझाए हैं। इनका कहना है कि पहाड़ी राज्यों में बेधड़क बेतरतीब तरीके से विकास के नाम पर निर्माण हो रहे है। इसके लिए भूगर्भीय सर्वे तक नहीं किए जा रहे हैं। जिससे आपदा के समय जानमाल का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए खतरा और जानमाल का नुकसान कम करना है तो उन स्थानों को पहचानना होगा, जहां की भूमि संवेदनशील है। किसी भी निर्माण से पहले भूगर्भीय सर्वे भी करना होगा।

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