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मानसिक रूप से कमजोर महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले को आठ साल का कठोर कारावास nainital news

दुष्कर्म करने के दोषी अभियुक्त को आठ साल का कठोर कारावास के साथ ही साढ़े छह हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।

By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 01 Dec 2019 11:48 AM (IST)
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मानसिक रूप से कमजोर महिला के साथ दुष्कर्म करने वाले को आठ साल का कठोर कारावास nainital news
नैनीताल, जेएनएन : द्वितीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने मानसिक कमजोर महिला के साथ चाकू की नोक पर दुष्कर्म करने के दोषी अभियुक्त को आठ साल का कठोर कारावास के साथ ही साढ़े छह हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट के आदेश के बाद जेल से लाए गए अभियुक्त को फिर से जेल भेज दिया गया।

मामला बेतालघाट ब्लॉक के ऊंचाकोट क्षेत्र का है। पिछले साल 21 मई को एक व्यक्ति ने राजस्व पुलिस में तहरीर दी, जिसमें उसने कहा था कि 11 मई को वह रिश्तेदारी में गया था तो घर में मानसिक रूप से कमजोर उसकी बहन घर पर अकेली थी। मौका पाकर अभियुक्त भगत सिंह पुत्र ईश्वर सिंह शराब के नशे में घर में घुसा और पीडि़ता को अकेला पाया तो चाकू की नोंक पर दुष्कर्म किया। चार दिन बाद वह घर लौटा तो पीडि़ता ने आपबीती बताई। 21 मई को आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। जांच उपरांत कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने आरोप साबित करने के लिए सात गवाह पेश कराए और कोर्ट से सख्त सजा की मांग की। शुक्रवार को दोषी करार अभियुक्त को शनिवार को कोर्ट ने सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी करार अभियुक्त को धारा-376 के तहत आठ साल कठोर कारावास व पांच हजार जुर्माना, धारा-457 के तहत तीन साल कठोर कारावास, एक हजार जुर्माना जबकि धारा-506 के तहत दो साल कठोर कारावास व पांच सौ जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

पीड़िता के व्यक्तित्व का नाश करता है दुष्कर्म

कोर्ट ने दोषी भगवत उर्फ भगत सिंह को सजा सुनाते हुए कहा है कि दुष्कर्म न सिर्फ पीडि़ता की प्रोइवेसी व अखंडता का उल्लंघन करता है बल्कि इस प्रक्रिया में वह उसे मनोवैज्ञानिक व शारीरिक नुकसान भी करता है। दुष्कर्म सिर्फ शारीरिक हमला नहीं है बल्कि पीडि़त के संपूर्ण व्यक्तित्व का नाश कर देता है। एक कातिल पीडि़त का शरीर नष्ट करता है मगर दुष्कर्मी बेचारे पीडि़त की आत्मा को अपमानित करता है। दुष्कर्म के आरोपित का परीक्षण करने की न्यायालय के कंधों पर जिम्मेदारी अधिक है। कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-357 ए को ध्यान में रखते हुए राज्य अपराध से पीडि़त सहायता योजना के तहत प्रतिकर देने के आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को दिए हैं।

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