हाई कोर्ट के आदेश के बाद जल्द छोड़ी जा सकती हैं कब्जे में ली गई आठ हथिनियां
हाई कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग द्वारा कब्जे में लिए गए आठ हथिनियों को अब छोड़ा जा सकता है। इसके लिए प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव देहरादून की ओर से डीएफओ को पत्र भेजा गया है।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sat, 02 Mar 2019 11:54 AM (IST)
रामनगर, जेएनएन : हाई कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग द्वारा कब्जे में लिए गए आठ हथिनियों को अब छोड़ा जा सकता है। इसके लिए प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव देहरादून की ओर से डीएफओ को पत्र भेजा गया है। अब विभाग हथनियों के स्वास्थ्य परीक्षण व अन्य दस्तावेज जांचने के बाद ही कोई निर्णय लेगा।
पिछले साल हाई कोर्ट के आदेश के बाद रामनगर वन प्रभाग ने बीते साल 10 अगस्त को रिसॉर्ट एवं प्राइवेट लोगों के आठ हथिनियों को कब्जे में लिया था। वे लोग इन पालतू हथिनियों से पर्यटकों को कॉर्बेट पार्क का भ्रमण कराते थे। वन विभाग ने हथिनियों को आमडंडा में अपनी सुरक्षा में रखा हुआ है। उनके लिए टिनशेड बनाने के अलावा देखरेख करने को महावत रखे गए हैं। वन विभाग के मुताबिक इन हथिनियों की देखरेख में अब तक करीब 40 से 50 लाख रुपये का खर्चा आ चुका है। बताया जाता है कि इसी साल 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से एक हथिनी को छोडऩे के लिए स्टे मिला था। उस आदेश के क्रम में प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव मोनिष मल्लिक ने डीएफओ को पत्र भेजा है। जिसमेें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर कब्जे में लिए गए हथिनियों से संबंधित दस्तावेजों की जांच वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में दिए गए प्रावधान के अनुसार करने के उपरांत ही उनके मालिकों को सौंपने की कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
आदेश को देखकर कानूनी सलाह लेंगे
बीपी सिंह, डीएफओ रामनगर वन प्रभाग ने बताया कि प्रमुख वन संरक्षक की ओर से पत्र मिला है। हथिनियों को छोडऩे से पहले परीक्षण के लिए कहा गया है। इसी पत्र के क्रम में दूसरा आदेश भी किया गया है जो उन्हें अभी मिला नहीं है। उस आदेश को देखकर कानूनी सलाह लेंगे। इसके बाद जो सलाह मिलेगी उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कल आएंगे हल्द्वानी, 8582 करोड़ की योजनाओं का करेंगे शिलान्यास
यह भी पढ़ें : सीटों के लिए टीटी के मनमानी रवैये से मिली राहत, अब चलती ट्रेन में भी बुक करा सकते हैं सीट
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।