कुमाऊं में भी भारत बंद का मिला जुला असर, अधिकतर बैंकों में लटके रहे ताले nainital news
केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ़ बुधवार को यूनियनों के बंद का असर कुमाऊं में भी साफ तौर पर नजर आया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Wed, 08 Jan 2020 04:53 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : केंद्र सरकार की 'श्रमिक विरोधी नीतियों' के खिलाफ़ बुधवार को यूनियनों के बंद का असर कुमाऊं में भी साफ तौर पर नजर आया। नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर में कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों के विरोध में प्रदर्शन कर श्रम कानूनों में बदलाव कर अधिकारों के हनन का आरोप लगाया। कहा कि सरकार लेबर कोड के नाम पर मौजूदा व्यवस्था को ख़त्म करना चाहती है। कर्मचारियों ने बेरोजगारी, न्यूनतम मजदूरी तय करना और सामाजिक सुरक्षा के समर्थन में हुंकार भरी। कहा कि सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 21 हज़ार रुपये प्रति महीने निर्धारित किया जाए।
आशा कार्यकार्ताओं की मांग को नजरअंदाज करती रही सरकार नैनीताल : नैनीतल में विभिन्न मांगों को लेकर मुखर हुईं आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय हड़ताल को समर्थन देते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की दर्जनों कार्यकर्ताओं ने तल्लीताल डांठ में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा की सरकार आशा वर्कर के हितों के बारे में नहीं सोच रही। मातृ शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए आशाओं की नियुक्ति की गई थी, लेकिन बेहतर से बेहतर परिणाम देने के बावजूद आशाओं की उपेक्षा की जा रही है। लंबे समय से मांग करने के बावजूद आशाओं की मांगें पूरी नहीं हो रहीं।
एसबीआइ छोड़कर सभी बैंक बंद शामिल
रामनगर : रामनगर में एसबीआई को छोड़कर राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन की हड़ताल के समर्थन सभी बैंक शामिल हुए। इसके अलावा कर्मचारी-शिक्षक संगठन व परिवर्तन संगठन ने तहसील में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन पर रोक लगा दी है। सरकार पुरानी पेंशन बहाली की व्यवस्था को शुरू करे। इसके अलावा महिलाओं ने जुलूस निकालकर मजदूरों के हितों की अनदेखी का अरोप लगाया।
रुद्रपुर में मजदूरों-किसानों व आशा कार्यकर्ताओं ने भरी हुंकार रुद्रपुर : रुद्रपुर में भी मजदूरों-किसानों और आशा कार्यकर्ताओं ने बंद को समर्थन दिया है। जिसमें जिला मुख्यालय के अंबेडकर पार्क में मजदूर व कार्यकर्ता एकत्र हुए हैं। मौके पर सभा व प्रदर्शन करके विरोध दर्ज कराया। बैंकों में हड़ताल का मिलाजुला असर रहा। बैंक जहां खुले रहे वहां कर्मचारियों ने काम करने से मना किया।
बागेश्वर में बंद का मिलाजुला असर बागेश्वर : बागेश्वर में भी बंद का मिलाजुला असर नजर आया। एलआइसी और उत्तराखंड बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन किया और कामकाज ठप रखा, जबकि अन्य बैंक आमतौर पर खुले रहे। हड़ताल के चलते सुदूरवर्ती गांवों से आए लोगों को बैरंग अपने घरों को लौटना पड़ा। भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और कहा कि मंडल इकाई ने केंद्र सरकार की विरोधी नीतियों के खिलाफ एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया और जिसे सफल बनाया जा रहा है। एलआइसी के शेयर बेचने की नीति पर रोक लगाने, बीमा क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने का विरोध किया। एलआइसी कर्मियों को पुरानी पेंशन बहाल करने, 2017 से लागू वेतन वृद्धि को शीघ्र देने, एलआइसी प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने, श्रम संहिता के नाम पर श्रमिक विरोधी परिर्वतनों पर रोक लगाने, ठेका प्रथा बंद करने की मांग की।
ये बैंक खुले रहे : अल्मोड़ा अर्बन, एसबीआइ, यूनियन, बैंक आफ बड़ोदा, पोस्ट आफिस, बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल, इंडियन ओवरसीज समेत अन्य बैंक हड़ताल पर नहीं रहे और अन्य दिनों की भांति काम चलता रहा।अल्मोड़ा में कर्मचारियों ने किया विरोगध प्रदर्शनअल्मोड़ा : सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) व आशा हेल्थ वर्कर्स के बैनर तले रैली निकाल कर कर्मचारियों ने चौघानपाटा में धरना दिया गया। सीटू व आशा कार्यकर्ताओं ने उपेक्षा व मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगा केंद्र व राज्य सरकार पर गुबार निकाला। उन्होंने निहित स्वार्थों के लिए सार्वजनिक उपक्रमों व स्थलों को बेचे जाने का पुरजोर विरोध किया। सरकारी संस्थाओं में ठेकेदारी प्रथा को कामगारों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे बंद करने की मांग उठाई। साछ ही श्रमिक हितों के लिए एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान किया गया। सीटू के यूसुफ तिवारी, दिनेश पांडे, आरपी जोशी, भावना देवी, पुष्प देवी आदि ने विचार रखे। उत्तराखंड ग्रामीण बैंक, कैनरा, सेंट्रल, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शाखाएं पूरी तरह बंद रखीं गई। वहीं स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया आदि में बंद बेअसर रहा। यहां कामकाज रोज की तरह सुचारू रहा।
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