रेलवे के विस्तार में गफूर बस्ती का अतिक्रमण बन रहा अड़ंगा
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के किनारे बसी गफूर बस्ती के अतिक्रमणकारियों के बेदखली का रास्ता एक बार फिर साफ हो गया है।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:31 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कुमाऊं के प्रवेश द्वार से लेकर आर्थिक मंडी कहे जाने वाले हल्द्वानी में ट्रेनों के विस्तार में अतिक्रमण हमेशा अड़ंगा बना रहा। रेलवे के अफसरों ने मंशा के अनुरूप पटरियों के विस्तार के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे, लेकिन हर बार अतिक्रमण की वजह से स्थानाभाव ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं, हाईकोर्ट के 31 मार्च 2020 तक रेलवे को पत्रों के निस्तारण के आदेश देने से रेल महकमे में फिर से उम्मीद जग गई है। हालांकि इस आदेश ने अतिक्रमणकारियों को फिर चिंता में डाल दिया है।
रेल महकमे के अफसरों के मुताबिक, हल्द्वानी में करीब 29 एकड़ भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। पूर्व में करीब पांच करोड़ रुपये की पिट लाइन का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा गया था, मगर अतिक्रमण की वजह से पिट लाइन विस्तार के लिए जगह न मिलने पर यह ठंडे बस्ते में चला गया। अफसरों को उम्मीद है कि यदि रेलवे की भूमि अतिक्रमण मुक्त हो जाए तो लंबी दूरी की कई ट्रेनों का संचालन हल्द्वानी से शुरू हो सकता है, जिससे रेलवे की आय बढ़ने के साथ ही रोजाना हजारों लोगों को फायदा पहुंचेगा। 2007 में भी अतिक्रमण के खिलाफ दिया गया था फैसला वर्ष 2007 में भी हाई कोर्ट के निर्देश पर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के सीमाकन व इसे ढहाने की कार्रवाई की गई थी। जैसे ही पुलिस-प्रशासन के साथ रेलवे ने अतिक्रमण ढहाने की कार्रवाई शुरू की, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पुलिस व रेलवे कर्मचारियों पर पथराव के साथ ही आगजनी तक कर दी थी। जिस पर पुलिस को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी थी। लोगों का आक्रोश देख अतिक्रमण ढहाने की कार्रवाई बीच में ही रोकनी पड़ी थी। पूर्व में ऐसे चली थी कार्रवाई - अक्टूबर 2016 - हाई कोर्ट की डबल बेंच ने रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था
12 नवंबर - रेलवे की पुलिस-प्रशासन के अफसरों के साथ बैठक हुई। 17 नवंबर - रेलवे स्टेशन से लेकर चोगरलिया रोड पर 10 एकड़ भूमि का सीमाकन किया गया
8 दिसंबर - सीमाकन के लिए पहुंची रेलवे, पुलिस व प्रशासन की टीम का लोगों ने भारी विरोध किया 5 जनवरी 2017 - प्रशासन-पुलिस ने फोर्स की कमी का हवाला देकर सीमाकन की कार्रवाई रोक दी। 10 जनवरी - हाई कोर्ट की डबल बेंच ने पुनर्विचार याचिका खारिज की 12 जनवरी - रेलवे ने 14 जनवरी से सीमाकन की पुलिस-प्रशासन को जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस-प्रशासन ने पैरा मिलिट्री व राज्यभर से पुलिस बल की डिमाड शासन से की। 14 जनवरी - रेलवे अफसर, आरपीएफ पहुंची। पुलिस ने उत्तरायणी पर्व के कारण फोर्स देने से किया इन्कार। पुलिस ने अतिक्रमण के सीमाकन व ढहाने की कार्रवाई के दौरान कानून एवं व्यवस्था बनाने के लिए बनाई रणनीति। 15 जनवरी - देर शाम तक कुमाऊं भर से पुलिस फोर्स पहुंची और 16 से सीमाकन तय किया गया।
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