अतिक्रमण से सूखाताल का आठ हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल घटा
देश-विदेश में पर्यटकों की पसंद नैनी झील के अस्तित्व का संकट यूं ही नहीं बढ़ता जा रहा है। अतिक्रमण जल्द हटाए।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 31 Aug 2019 06:44 AM (IST)
किशोर जोशी, नैनीताल : देश-विदेश में पर्यटकों की पसंद नैनी झील के अस्तित्व का संकट यूं हीं नहीं बढ़ता जा रहा है। हाई कोर्ट ने एक बार फिर से नैनी झील को 40-50 प्रतिशत रिचार्ज करने वाले सूखाताल के डूब क्षेत्र से अतिक्रमण बलपूर्वक हटाने के आदेश पारित कर पर्यावरणविंदों के चेहरे में चमक ला दी है, लेकिन सूखाताल में अवैध तरीके से कब्जा कर आशियाना बनाकर रह रहे परिवारों के लिए टेंशन पैदा हो गई है।
दरअसल नैनी झील के जलस्तर को लेकर साल दर साल चिंता बढ़ती जा रही है। झील में गिरने वाले नालों के दोनों ओर अतिक्रमण की वजह से तमाम नालों का ही अस्तित्व खत्म हो गया है। अतिक्रमण व अवैध निर्माणों की वजह से सूखाताल झील का क्षेत्रफल 44 हजार वर्ग मीटर से घटकर 36 हजार वर्ग मीटर रह गया है। हाई कोर्ट के आदेश पर सिंचाई विभाग, पालिका, प्राधिकरण के संयुक्त सर्वे में सूखाताल झील के डूब क्षेत्र में ही 40 से अधिक अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे मगर प्रशासन की कार्रवाई अधिकारियों के निरीक्षण, हवाई दिशा-निर्देश व जुबानी आदेश तक सीमित रही। 22 हजार वर्ग मीटर में प्रस्तावित है झील नैनी झील के कैचमेंट सूखाताल झील मानसून में अस्तित्व में आती रही है मगर पिछले सालों में सूखाताल झील में गिरने वाले तीन नालों का पानी डायवर्ट कर दिया। सूखाताल झील के पानी से बारिश नहीं होने वाले सीजन में नैनी झील 40-50 प्रतिशत रिचार्ज होती रही है, मगर अब सूखाताल में मलबे का तीन मीटर गहराई तक का कंक्रीट हो चुके ढेर ने रिचार्ज प्रक्रिया को ही बंद कर दिया है। सिंचाई विभाग ने सूखाताल में 22 हजार वर्ग मीटर में झील बनाने की डीपीआर शासन के भेजी है, मगर अब तक बजट नहीं मिला।
डूब क्षेत्र में बना दी अवैध पार्किग
सूखाताल को लेकर सरकारी अमला किस कदर उदासीन है, इसका उदाहरण पर्यटन सीजन में देखने को मिला। सीजन में दौरान सूखाताल के डूब क्षेत्र में अवैध पार्किग का धंधा चलता रहा मगर किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की। इसके अलावा सूखाताल में रसूखदारों ने भूमि का सौदा कर अवैध तरीके से निर्माण कर डाले मगर कार्रवाई नहीं की गई।
वर्जन सूखाताल झील से ही नैनी झील 40-50 फीसद रिचार्ज होती है। इस साल बारिश कम हुई है, इसलिए अब तक जल भंडारण नहीं हुआ है। सूखाताल झील में पानी नहीं है तो बरसात खत्म होने के बाद नैनी झील का जलस्तर तेजी से घटना तय है। हाई कोर्ट ने झील संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मैं इसका स्वागत करता हैं। प्रशासन से अपेक्षा है कि आदेश में जारी दिशा-निर्देशों का बिना भेदभाव के क्रियान्वयन सुनिश्चित कराए। -प्रो. अजय रावत, पर्यावरणविद व याचिकाकर्ता। वर्जन झील संरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इस संबंध में जल्द बैठक बुलाई जाएगी। अदालत के आदेशों का क्रियान्वयन ईमानदारी से किया जाएगा। जो निर्देश शासनस्तर के होंगे, उन्हें शासन को अवगत कराया जाएगा। -सविन बंसल, डीएम नैनीताल।
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