हल्द्वानी की रेलवे भूमि पर एक तिरपाल के छप्पर से शुरू हुआ अतिक्रमण 29 एकड़ में फैला
Haldwani railway land Encroachment बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसले को सुरक्षित रखा है। अतिक्रमण का यह मामला एक-दो नहीं बल्कि 15 साल का है।
By Deep belwalEdited By: Skand ShuklaUpdated: Wed, 02 Nov 2022 08:51 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसले को सुरक्षित रखा है। अतिक्रमण का यह मामला एक-दो नहीं, बल्कि 15 साल का है। एक तिरपाल के छप्पर से शुरू हुआ अतिक्रमण 29 एकड़ जमीन में फैला गया। कोठियां और इमारतें आसमां छूनें लगीं।
बनभूलपुरा के पास करीब 29 एकड़ भूमि है, जिसे रेलवे अतिक्रमण का बता रहा है। ये इलाके वार्ड एक, 18, 20, 22, 24, गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, नई बस्ती हैं। इन इलाकों में धर्म विशेष की आबादी की बहुलता है। 2020 और 2021 में रेलवे ने इन इलाकों में 15 दिन में कब्जा खाली करने का नोटिस भी दिया था, फिर भी अवैध कब्जे नहीं हटाए जा सके।
रेलवे व अतिक्रमणकारियों के बीच कागजबाजी 2016 से जारी है। जमीन का सीमांकन कर पिलर भी लगा दिए थे। गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने अतिक्रमण के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है।
हाईकोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकीं हुई हैं। हल्द्वानी के एक बुजुर्ग बताते हैं कि रेलवे की जमीन चारों तरफ जंगल से घिरी थी। बाहरी राज्यों से आए लोग यहां तिरपाल के छप्पर डालकर रहने लगे। उनकी आंखों के सामने धीरे-धीरे छप्परों ने पक्के भवनों का रूप लिया। भवन कोठी व दोमंजिला तथा तिमंजिला इमारतों में तब्दील हो गई।\
4365 वादों की हुई सुनवाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य संपदा अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल में करीब चार साल पहले सुनवाई शुरू हुई थी। रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिक्रमण की जद में आए 4365 वादों की सुनवाई हुई। जिसमें सभी वादों का निस्तारण हो चुका है। मगर कोई भी अतिक्रमणकारी कब्जे को लेकर ठोस सबूत नहीं दिखा पाया। किसी के पास भी जमीन संबंधित कागजात नहीं मिले।
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