बिंदुखत्ता नगर पालिका के विरोध मामले में 47 आरोपित को किया गया बरी
बिंदुखत्ता नगरपालिका के विरोध मामले में तत्कालीन सरकार द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे में 47 नामजद समेत ढाई सौ आंदोलनकारी को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय हल्द्वानी ने बरी कर दिया।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 18 Jan 2019 08:20 PM (IST)
लालकुआं, जेएनएन : बिंदुखत्ता नगरपालिका के विरोध मामले में तत्कालीन सरकार द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे में 47 नामजद समेत ढाई सौ आंदोलनकारी को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय हल्द्वानी ने बरी कर दिया। आंदोलनकारियों पर सरकारी कार्य में बाधा व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था।
बता दें कि वर्ष 2016 में राज्य की कांग्रेस सरकार ने बिंदुखत्ता को नगर पालिका का दर्जा दिया था। जिसके बाद पूरे क्षेत्र में विरोध की स्वर उभरने लगे। अखिल भारतीय किसान सभा व भाजपा के नेतृत्व में कई जनआंदोलन हुए। 14 अक्टूबर 2016 को काररोड में नगर पालिका के कार्यालय का शुभारंभ होना था। इस दौरान अखिल भारतीय किसान सभा व भाजपा के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू किया। जिसपर पुलिस ने 47 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया था। इधर गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय हल्द्वानी के न्यायाधीश दयाराम की कोर्ट में मुकदमे में सुनवाई हुई। फैसले के वक्त मुकदमे में नामजद मुख्य अभियुक्त अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा और उनके अधिवक्ता एसडी जोशी कोर्ट में पेश हुए। जिसके बाद न्यायाधीश ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया।
दो आरोपित की हो चुकी है मौत
विधायक नवीन दुम्का, भाजपा मंडल अध्यक्ष रामसिंह पपोला, कमल मुनि के अलावा भाकपा माले के पुरुषोत्तम शर्मा, भुवन जोशी, आनंद सिंह सिजवाली, विमला राथौड़, कमलापति जोशी समेत 47 आंदोलनकारियों को नामजद किया था। जबकि 250 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया था। फैसला आने से पूर्व दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई है। राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तारी भी नहीं की थी। तीन साल बाद न्यायालय का फैसला आया तो ग्रामीणों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
फैसला लोकतंत्र की जीत है
कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा ने बताया कि न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला न्याय और लोकतंत्र की जीत है। मुकदमें की निश्शुल्क पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं ने भी काफी सहयोग दिया।
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