गूलरभोज डैम पहुंचे विदेशी पक्षी, ईको टूरिज्म विकसित करने के लिए हो रही कवायद
ऊधम सिंह नगर जिले में स्थित गूलरभोज नानकसगार तुमडिय़ा डैम हरिपुरा बौर बैगुल व धौरा आदि जलाशयों के पास हर साल अक्टूबर महीने में विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। साइबेरिया तिब्बत समेत कई देशों से लंबा सफर कर यह पक्षी यहां पहुंचते हैं।
By govind singhEdited By: Skand ShuklaUpdated: Sat, 15 Oct 2022 08:52 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : तराई के गूलरभोज डैम के वेटलैंड एरिया में प्रवासी पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू होने के साथ अब एक और कवायद शुरू की जा रही है। ताकि राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र को नई पहचान मिले। स्टेट वेटलैंड अथारिटी के माध्यम से संरक्षण को लेकर जल शक्ति मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
इस प्रस्ताव का मकसद वेटलैंड का ईको टूरिज्म के लिहाज से विकसित करने के साथ जल संरक्षण की दिशा में काम करना भी है। इसके अलावा वन विभाग अपने स्तर से यहां बर्ड वाचिंग कैंप आयोजित करने जा रहा है। ताकि देश भर से पक्षी विशेषज्ञ यहां आकर विविध प्रजाति का दीदार कर सकें और इस जगह को प्रचारित भी करे।
तराई यानी ऊधम सिंह नगर जिले में स्थित गूलरभोज, नानकसगार, तुमडिय़ा डैम, हरिपुरा, बौर, बैगुल व धौरा आदि जलाशयों के पास हर साल अक्टूबर महीने में विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। साइबेरिया, तिब्बत समेत कई देशों से लंबा सफर कर यह पक्षी यहां पहुंचते हैं।
गूलरभोज में जलाशय के आसपास छोटे-छोटे घास के मैदान भी नजर आते हैं। पानी की वजह से यहां नमी बरकरार रहती है। जिस वजह से इन्हें वेटलैंड भी कहते हैं। घंटों में जलाशयों में रहने के अलावा मूड के हिसाब से विदेशी पक्षी यहां भी घूमते हैं। दो साल पहले वन विभाग ने गणना कर 65 प्रजाति के पक्षी ढूंढे थे। जिस वजह से वन विभाग ने अब ऊधम सिंह नगर वेटलैंड संरक्षण योजना तैयार की है।
जिसमें प्रथम चरण में गूलरभोज को शामिल किया गया है। डीएफओ वैभव कुमार के अनुसार स्टेट वेटलैंड अथोरिटी के माध्यम से केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाएगा। स्वीकृति मिलने पर वेटलैंड के संरक्षण को संसाधन मिलेंगे। इससे ईको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। इस स्थिति में स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से भी जोड़ा जा सकेगा।
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