खेतों तक पहुंच रहा फैक्ट्रियों और अस्पतालों का बायोमेडिकल वेस्ट, जेएनएन UTTARAKHND NEWS
फैक्ट्रियों व अस्पतालों का दूषित पानी व बायोमेडिकल वेस्ट खेतों में छोड़ा जा रहा है। यह हकीकत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कीं।
By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 28 Jun 2019 10:11 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : फैक्ट्रियों व अस्पतालों का दूषित पानी और बायोमेडिकल वेस्ट खेतों में छोड़ा जा रहा है। यह हकीकत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की है। प्रदूषण मानकों का उल्लंघन कर रही फैक्ट्रियों के मामले में बोर्ड ने कहा कि 90 फैक्ट्रियों के लिए सितारगंज में एक सीईटीपी यानी कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट है। वह भी सही ढंग से कार्य नहीं कर रहा है। कोर्ट ने सभी 90 फैक्ट्रियों को आदेश दिया है कि वे अपना ट्रीटमेंट प्लांट चालू करें। सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि नैनीताल व यूएसनगर के 520 अस्पतालों के पास भी बायोमेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। जो हैं भी वे कार्य नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते दूषित पानी को खेतों में छोड़ा जा रहा है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि अगर इस सीईटीपी को बंद करना पड़े तो क्या कदम प्रदूषण बोडऱ् ने उठाए हैं। इस पर 10 दिन के भीतर जवाब दाखिल करें।
ऊधमसिंह नगर के अशोक कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि पूरे राज्य में पेपर मिल और फैक्ट्रियां उद्योग मानक के खिलाफ संचालित हो रहे हैं। जहरीले रसायनों को बिना किसी ट्रीटमेंट के नदी नालों में बहाया जा रहा है। जिससे भूगर्भीय जल में भी प्रदूषण फैल रहा है। जिसका असर राज्य के लोगों पर गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आ रहा है। पिछले साल 17 अगस्त 2018 को हाई कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट मांगी थी। गुरुवार को कोर्ट में रिपोर्ट को पेश की गई। जिसमें बताया गया कि 793 फैक्ट्रियों की जांच में 323 फैक्ट्रियां मानकों का उल्लंघन करती पाई गई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने बोर्ड को 10 दिन का समय और दिया है।
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